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गर्मियों का मौसम हर साल आता है और अपने साथ लू, पसीना, थकावट और चिड़चिड़ापन लेकर आता है। लेकिन आपने गौर किया होगा कि कुछ लोग सामान्य गर्मी को भी बर्दाश्त नहीं कर पाते, जबकि वहीं कुछ लोग उसी वातावरण में सहज रहते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है? क्यों कुछ लोगों को ज़्यादा गर्मी लगती है, जबकि दूसरों को नहीं?

इस ब्लॉग में हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे। जानेंगे कि किन कारणों से कुछ लोगों को अत्यधिक गर्मी महसूस होती है और इसके पीछे क्या शारीरिक, मानसिक और जीवनशैली से जुड़े कारण हो सकते हैं।

  1. शरीर की चयापचय दर (Metabolism Rate)

हमारे शरीर में ऊर्जा का उत्पादन चयापचय क्रिया के माध्यम से होता है। कुछ लोगों की चयापचय दर (Metabolic Rate) अधिक होती है, जिससे उनका शरीर अधिक गर्मी पैदा करता है। यह अतिरिक्त गर्मी शरीर को अधिक गर्म महसूस करवा सकती है, खासकर गर्मी के मौसम में।

तेज मेटाबॉलिज्म वाले लोग सामान्य से अधिक पसीना बहाते हैं और उन्हें अधिक प्यास लगती है। ऐसे लोगों को गर्मी जल्दी महसूस होती है, क्योंकि उनका शरीर ऊर्जा जलाने में तेज होता है।

  1. हार्मोनल बदलाव

हार्मोन हमारे शरीर की बहुत सारी क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं, जिनमें शरीर का तापमान भी शामिल है। थायरॉयड हार्मोन का असंतुलन, विशेष रूप से हाइपरथायरॉइडिज़्म (Hyperthyroidism), शरीर में अत्यधिक गर्मी पैदा कर सकता है।

महिलाओं में रजोनिवृत्ति (Menopause) के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण भी गर्मी की अधिक अनुभूति होती है। इस दौरान उन्हें “हॉट फ्लैशेस” (Hot Flashes) नामक स्थिति का सामना करना पड़ता है, जिसमें अचानक शरीर में गर्मी बढ़ जाती है और पसीना आ जाता है।

  1. शरीर का वजन और फैट प्रतिशत

जिन लोगों का शरीर का वजन अधिक होता है या जिनके शरीर में फैट प्रतिशत ज्यादा होता है, उन्हें आमतौर पर अधिक गर्मी लगती है। शरीर की चर्बी इंसुलेटर (गर्मी रोकने वाला) की तरह काम करती है और शरीर के अंदर उत्पन्न गर्मी को बाहर निकलने नहीं देती।

इस कारण मोटे लोगों को पतले लोगों की तुलना में अधिक गर्मी का एहसास होता है। उनका शरीर आसानी से ठंडा नहीं हो पाता, जिससे वे ज्यादा गर्म महसूस करते हैं।

  1. हाइड्रेशन की कमी

शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) भी एक प्रमुख कारण है, जिसकी वजह से कुछ लोगों को ज्यादा गर्मी लगती है। जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो शरीर का तापमान नियंत्रण तंत्र सही से काम नहीं कर पाता। इससे गर्मी अधिक लगने लगती है और व्यक्ति थका हुआ या चिड़चिड़ा महसूस कर सकता है।

पसीने के माध्यम से शरीर का तापमान नियंत्रित होता है, लेकिन यदि शरीर में पर्याप्त पानी नहीं होगा, तो पसीना नहीं निकल पाएगा और शरीर गर्म होता जाएगा।

  1. मानसिक और भावनात्मक स्थिति

कई बार मानसिक तनाव, चिंता या घबराहट की स्थिति में भी शरीर गर्म महसूस करता है। जब व्यक्ति तनाव में होता है, तो उसका नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है, जिससे दिल की धड़कन बढ़ जाती है और शरीर गर्म लगने लगता है।

इस स्थिति को “साइकोजेनिक हाइपरथर्मिया” (Psychogenic Hyperthermia) कहा जाता है, जिसमें मानसिक कारणों से शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। यह आमतौर पर गर्मी के मौसम में और अधिक महसूस होता है।

  1. दवाइयों और जीवनशैली का प्रभाव

कुछ दवाइयों का साइड इफेक्ट शरीर में गर्मी बढ़ा सकता है। उदाहरण के लिए, एंटी-डिप्रेसेंट्स, ब्लड प्रेशर की दवाएं, या हार्मोनल थेरेपी में उपयोग होने वाली दवाइयां शरीर की थर्मोरेगुलेशन प्रणाली को प्रभावित कर सकती हैं।

इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से बाहर धूप में कार्य करता है, पर्याप्त नींद नहीं लेता, या बहुत अधिक कैफीन और अल्कोहल का सेवन करता है, तो भी उसे अधिक गर्मी महसूस हो सकती है।

निष्कर्ष

गर्मी का अनुभव हर व्यक्ति के लिए अलग होता है और इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार होते हैं – जैसे कि चयापचय, हार्मोनल बदलाव, शरीर का वजन, हाइड्रेशन स्तर, मानसिक स्थिति और जीवनशैली। यदि आपको सामान्य से अधिक गर्मी लगती है, तो जरूरी है कि आप अपनी जीवनशैली का मूल्यांकन करें और जरूरत पड़े तो डॉक्टर से परामर्श लें।

खुद को हाइड्रेट रखें, हल्के और सूती कपड़े पहनें, संतुलित आहार लें और मानसिक रूप से शांत रहें। गर्मी एक सामान्य मौसमीय परिवर्तन है, लेकिन यदि यह आपके लिए असहनीय हो रहा है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपके शरीर को खास देखभाल की आवश्यकता है।

अपना ध्यान रखें, क्योंकि जब शरीर ठंडा और मन शांत रहेगा, तभी आप गर्मी के मौसम को आसानी से पार कर पाएंगे।

 

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