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हरी सब्जियां जैसे पालक, मेथी, सरसों, बथुआ, धनिया और पत्तागोभी को आमतौर पर स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इनमें भरपूर मात्रा में फाइबर, आयरन, कैल्शियम, फोलेट और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मानसून के मौसम में ये हरी सब्जियां आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकती हैं?

बारिश के मौसम में तापमान में नमी और बदलाव के कारण इन सब्जियों में बैक्टीरिया, फंगस और कीटाणु पनपने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही इनकी पैदावार और भंडारण की स्थिति भी प्रभावित होती है, जिससे ये कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकती हैं। आइए विस्तार से जानें कि मानसून में हरी सब्जियां कैसे और क्यों सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं और इससे बचाव कैसे किया जाए।

मानसून में संक्रमण की अधिक संभावना

मानसून में वातावरण में अत्यधिक नमी होती है, जो बैक्टीरिया, फंगस और वायरस के फैलने के लिए अनुकूल स्थिति होती है। हरी पत्तेदार सब्जियां जमीन के बेहद पास उगती हैं और बारिश के पानी के संपर्क में आने से इनमें मिट्टी, कीचड़ और गंदगी जम जाती है।

  • इन सब्जियों की ठीक से सफाई न होने पर संक्रमण का खतरा बढ़ता है।
  • बैक्टीरिया और कीटाणु पेट की बीमारियों जैसे फूड पॉइज़निंग, डायरिया, टाइफाइड आदि को जन्म दे सकते हैं।

खासतौर पर पालक, बथुआ, मेथी और धनिया जैसी सब्जियों में मिट्टी चिपकी रहती है, जिसे सामान्य धोने से पूरी तरह साफ करना मुश्किल होता है।

कीटनाशकों और रासायनिक खाद का अत्यधिक प्रयोग

मानसून में फसलें कीटों और रोगों से अधिक प्रभावित होती हैं, जिससे किसान इन पर कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का अधिक प्रयोग करते हैं। यह हानिकारक रसायन यदि सब्जियों पर रह जाएं, तो शरीर में जाकर जहर का काम कर सकते हैं।

  • ये रसायन पेट और यकृत (लीवर) को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • बच्चों और बुजुर्गों में यह प्रतिरोधक क्षमता को कम कर सकता है।

बाजार में बिकने वाली सब्जियों में यह समस्या अधिक होती है, क्योंकि वहां मात्रा और बिक्री पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, न कि गुणवत्ता पर।

फूड पॉयजनिंग और पेट के रोगों का खतरा

हरी सब्जियों में छिपे बैक्टीरिया और परजीवी (parasites) मानसून के समय और अधिक सक्रिय हो जाते हैं। कच्ची या अधपकी सब्जियों को खाने से ये पेट में जाकर इंफेक्शन फैला सकते हैं।

  • मानसून में डायरिया, उल्टी, पेट दर्द और गैस की समस्याएं आम हो जाती हैं।
  • E. coli और Salmonella जैसे बैक्टीरिया इसी मौसम में अधिक पनपते हैं और फूड पॉयजनिंग का कारण बनते हैं।

इसलिए, मानसून में हरी सब्जियों को अच्छी तरह पकाकर ही खाना चाहिए।

हरी सब्जियों में कीड़े और फंगस का संक्रमण

मानसून में खेतों और बागानों में नमी अधिक होने के कारण हरी सब्जियों में फफूंदी (fungus), कीड़े और कीट के अंडे भी आसानी से पनपते हैं, जो नंगी आंखों से नहीं दिखते।

  • जब हम इन सब्जियों को ठीक से नहीं धोते या उबालते, तो ये सूक्ष्म कीट शरीर में पहुंच जाते हैं और आंतों के संक्रमण का कारण बनते हैं।
  • इसके अलावा यह फंगस एलर्जी, स्किन रैश, सांस की समस्या और फेफड़ों की बीमारी को भी जन्म दे सकता है।

कैसे करें बचाव? मानसून में हरी सब्जियां खाने से पहले रखें ये सावधानियां

हरी सब्जियां पूरी तरह से नुकसानदायक नहीं हैं, लेकिन मानसून में इन्हें अतिरिक्त सतर्कता के साथ तैयार और सेवन करना जरूरी है:

  • सब्जियों को कम से कम 3 बार साफ पानी से धोएं और फिर गर्म पानी में नमक डालकर 10-15 मिनट भिगोकर रखें।
  • कभी भी कच्ची हरी सब्जियां न खाएं। इन्हें हमेशा अच्छी तरह पकाएं या उबालें
  • छनी हुई या कटी-पिटी सब्जियां बाजार से न खरीदें, क्योंकि इनमें कीटाणु तेजी से फैलते हैं।
  • घरेलू जैविक सब्जियों (organic vegetables) का उपयोग करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
  • भंडारण करते समय सब्जियों को फ्रिज में नमी रहित स्थान पर रखें और जल्द से जल्द उपयोग करें।

निष्कर्ष

हरी सब्जियां स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं, लेकिन मानसून का मौसम इन्हें हानिकारक बना सकता है यदि हम उचित सफाई और पकाने की विधि का पालन न करें। बारिश के मौसम में पेट और आंतों से जुड़ी बीमारियों का खतरा पहले से ही अधिक रहता है, ऐसे में सावधानी बरतना जरूरी है।
याद रखें—हरी सब्जियों से पोषण तभी मिलेगा जब हम उन्हें सही तरीके से खाएं।

इस मानसून में हरी सब्जियों का स्वाद जरूर लें, लेकिन सतर्कता के साथ। तभी आप बीमारियों से बचे रहेंगे और स्वस्थ रहेंगे।

 

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