Breaking News

कैल्शियम हमारे शरीर के लिए एक आवश्यक मिनरल है, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। खासतौर पर महिलाओं के लिए कैल्शियम और भी ज़रूरी हो जाता है क्योंकि जीवन के विभिन्न चरणों में जैसे माहवारी, गर्भावस्था, मातृत्व और रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज़) के दौरान उनके शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो हड्डियों को कमजोर कर सकते हैं। सही समय पर कैल्शियम लेना महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों के झरझरा होने की बीमारी), हड्डियों के टूटने और मांसपेशियों की कमजोरी से बचाता है।

इस लेख में हम जानेंगे कि महिलाओं को किस उम्र से कैल्शियम लेना शुरू कर देना चाहिए, किस-किस उम्र में इसकी कितनी ज़रूरत होती है, और किन खाद्य पदार्थों व सप्लिमेंट्स से इसकी पूर्ति की जा सकती है।

कैल्शियम की ज़रूरत: उम्र के अनुसार

महिलाओं के शरीर में कैल्शियम की ज़रूरत उम्र के साथ बदलती रहती है:

  • 9-18 वर्ष की उम्र: यह उम्र हड्डियों की सबसे तेज़ विकास की होती है। इस समय रोजाना 1300 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है।
  • 19-50 वर्ष की महिलाएं: इस आयु वर्ग की महिलाओं को रोजाना 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है।
  • 51 वर्ष और उससे अधिक उम्र: रजोनिवृत्ति के बाद कैल्शियम की कमी का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए इस उम्र में 1200 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है।

कब से शुरू करें कैल्शियम लेना?

महिलाओं को कैल्शियम का सेवन किशोरावस्था से ही शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि यही वह उम्र है जब हड्डियों का निर्माण सबसे तेज़ होता है। अगर बचपन और किशोरावस्था में कैल्शियम की कमी रह जाए तो आगे चलकर हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।

  • किशोरियाँ (Teenage Girls) को अपने आहार में दूध, दही, पनीर जैसे डेयरी उत्पाद और हरी पत्तेदार सब्जियाँ जरूर शामिल करनी चाहिए।
  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी कैल्शियम अधिक मात्रा में लेना चाहिए क्योंकि इस समय शिशु की हड्डियों का विकास माँ के कैल्शियम से ही होता है।
  • रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा घटने लगती है, जिससे हड्डियाँ अधिक तेज़ी से कमजोर होती हैं। ऐसे में कैल्शियम सप्लिमेंट्स की मदद लेनी पड़ सकती है।

कैल्शियम के प्राकृतिक स्रोत

हर महिला को अपने भोजन में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए जो कैल्शियम से भरपूर हों:

  • डेयरी उत्पाद: दूध, दही, पनीर, छाछ
  • हरी पत्तेदार सब्जियां: पालक, मेथी, सरसों का साग
  • सूखे मेवे और बीज: तिल, अलसी, बादाम
  • मछली: सार्डीन और साल्मन (हड्डियों के साथ खाई जाए तो)
  • दालें और फलियाँ: राजमा, चना, मूंग दाल
  • कैल्शियम से फोर्टिफाइड फूड्स: जैसे सोया दूध, संतरे का रस आदि

कैल्शियम सप्लिमेंट कब लेने चाहिए?

अगर आपके भोजन से पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिल पा रहा है, तो डॉक्टर की सलाह से कैल्शियम सप्लिमेंट लेना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। विशेषकर नीचे दी गई स्थितियों में सप्लिमेंट की आवश्यकता हो सकती है:

  • लैक्टोज इनटॉलरेंस होने पर, जब आप डेयरी प्रोडक्ट्स नहीं ले सकते।
  • शाकाहारी महिलाओं को जब पशु स्रोतों से कैल्शियम नहीं मिल पाता।
  • रजोनिवृत्ति के बाद जब शरीर की कैल्शियम सोखने की क्षमता कम हो जाती है।
  • अस्थि रोगों (Bone Disorders) से जूझ रही महिलाओं को।

ध्यान रखें कि कैल्शियम सप्लिमेंट लेने के साथ-साथ विटामिन D भी लेना ज़रूरी है, क्योंकि वह कैल्शियम को शरीर में अवशोषित (absorb) करने में मदद करता है।

कैल्शियम की कमी के लक्षण और बचाव

अगर शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाए तो कुछ संकेत दिखाई देने लगते हैं:

  • हड्डियों और जोड़ों में दर्द
  • मांसपेशियों में अकड़न या ऐंठन
  • दांतों में कमजोरी या गिरना
  • नाखूनों का टूटना
  • बार-बार हड्डियों का फ्रैक्चर होना

बचाव के लिए करें ये उपाय:

  • कैल्शियम युक्त आहार लें
  • सुबह की धूप में 15-20 मिनट ज़रूर बैठें (विटामिन D के लिए)
  • नियमित रूप से व्यायाम करें, जैसे वॉकिंग, योग, या वेट ट्रेनिंग
  • धूम्रपान और अत्यधिक चाय-कॉफी से बचें

निष्कर्ष

महिलाओं के लिए कैल्शियम किसी सुरक्षा कवच से कम नहीं है। इसे नज़रअंदाज़ करना भविष्य में हड्डियों से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है। किशोरावस्था से लेकर बुढ़ापे तक कैल्शियम की सही मात्रा लेना हर महिला के लिए ज़रूरी है। सही आहार, नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह से समय रहते इसकी कमी को पूरा किया जा सकता है। याद रखें, मजबूत हड्डियाँ ही एक स्वस्थ जीवन की नींव होती हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *