मिर्गी (Epilepsy) एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जिसमें मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि अचानक असामान्य हो जाती है, जिससे दौरे (Seizures) पड़ते हैं। मिर्गी के मरीजों को सामान्य जीवन जीने में मुश्किल नहीं होती, लेकिन जब उन्हें दौरा पड़ता है, तो सही समय पर उचित देखभाल और प्रतिक्रिया देना बेहद आवश्यक होता है। दुर्भाग्यवश, भारत में आज भी मिर्गी से जुड़ी कई भ्रांतियां और अंधविश्वास जुड़े हैं, जिसकी वजह से समय पर सही मदद नहीं मिल पाती। इस लेख में हम जानेंगे कि मिर्गी का दौरा पड़ने पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, ताकि हम किसी की जान बचाने में मददगार बन सकें।
मिर्गी क्या है और इसके लक्षण क्या होते हैं?
मिर्गी एक तंत्रिका संबंधी विकार है जिसमें व्यक्ति को बार-बार दौरे पड़ते हैं। यह दौरे मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि की वजह से होते हैं। मिर्गी के दौरे कुछ सेकंड से लेकर कई मिनट तक चल सकते हैं। इसके कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं:
- अचानक बेहोश हो जाना
- शरीर के किसी हिस्से में झटके (Twitching)
- पूरे शरीर में अकड़न और झटके
- आंखें पलटना या स्थिर हो जाना
- मुंह से झाग निकलना
- चेतना का खो जाना या भ्रम की स्थिति
हर व्यक्ति में मिर्गी के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों में दौरे बहुत हल्के होते हैं, जिन्हें पहचानना मुश्किल होता है।
मिर्गी का दौरा पड़ने पर क्या करें?
जब किसी को मिर्गी का दौरा पड़ता है, तो घबराने के बजाय धैर्य और समझदारी से काम लेना ज़रूरी होता है। नीचे दिए गए उपाय अपनाएं:
- व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर रखें:
अगर मरीज सड़क पर या किसी भी खतरनाक जगह पर गिरा है, तो उसे सावधानीपूर्वक एक सुरक्षित स्थान पर ले जाएं। सुनिश्चित करें कि उसके आसपास कोई तेज वस्तु या कोना न हो जिससे उसे चोट लग सके। - उसे एक करवट पर लिटाएं:
मरीज को बाईं करवट पर लिटाना फायदेमंद होता है। इससे मुंह से निकलने वाला झाग या उल्टी सांसनली में जाने से बचता है और दम घुटने की आशंका कम होती है। - सिर के नीचे कुछ नरम चीज़ रखें:
जैसे तकिया, बैग या हाथ का सहारा। इससे सिर को ज़मीन से चोट लगने से बचाया जा सकता है। - घड़ी देखकर समय नोट करें:
दौरा कितने समय तक चलता है, यह जानना इलाज के लिए महत्वपूर्ण होता है। सामान्यतः दौरे 1-2 मिनट तक चलते हैं। यदि दौरा 5 मिनट से ज्यादा समय तक चलता है, तो यह आपात स्थिति होती है। - दौरा रुकने तक साथ रहें:
व्यक्ति पूरी तरह सामान्य स्थिति में आने तक उसके पास रहें और उसे ढाढ़स बंधाएं। दौरा खत्म होने के बाद मरीज कुछ देर भ्रमित या थका हुआ महसूस कर सकता है।
मिर्गी के दौरे के समय क्या नहीं करना चाहिए?
कई बार लोग मिर्गी के दौरे के समय घबराहट में कुछ ऐसे काम कर बैठते हैं, जो मरीज के लिए और ज़्यादा नुकसानदायक हो सकते हैं। नीचे दी गई बातें हर हाल में न करें:
- मुंह में कुछ न डालें:
यह बहुत आम मिथक है कि मिर्गी के दौरे में जीभ कटने से बचाने के लिए मरीज के मुंह में चम्मच या कपड़ा डालना चाहिए। ऐसा करना खतरनाक है, इससे सांस रुकने का खतरा बढ़ सकता है। - जबरदस्ती उठाने या पकड़ने की कोशिश न करें:
मरीज को दौरे के दौरान पकड़ने या उसे हिलाने की कोशिश न करें। इससे मांसपेशियों या हड्डियों को नुकसान हो सकता है। - मुंह में पानी या दवा देने की कोशिश न करें:
दौरे के समय व्यक्ति अचेतन होता है, ऐसे में पानी या दवा देना उसकी सांस की नली में जा सकता है और दम घुट सकता है। - भीड़ न लगाएं:
भीड़ से मरीज को घबराहट हो सकती है और उसकी स्थिति और खराब हो सकती है। ऐसे में कुछ ही लोग शांतिपूर्वक उसकी मदद करें।
कब डॉक्टर की मदद लेना ज़रूरी है?
कुछ विशेष परिस्थितियों में मिर्गी का दौरा खतरे की घंटी हो सकता है। नीचे दिए गए मामलों में तुरंत डॉक्टर को बुलाएं या मरीज को अस्पताल ले जाएं:
- दौरा 5 मिनट से अधिक समय तक चले
- लगातार दो या अधिक दौरे पड़े और मरीज बीच में होश में न आए
- पहली बार दौरा पड़ा हो
- मरीज को चोट लग गई हो
- मरीज गर्भवती हो, शुगर या दिल की बीमारी से ग्रसित हो
मिर्गी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना आवश्यक
भारत में मिर्गी को लेकर कई तरह की ग़लतफ़हमियाँ फैली हुई हैं। जैसे – यह भूत-प्रेत का असर है, यह संक्रामक है, इससे शादी नहीं करनी चाहिए आदि। ये सभी बातें पूरी तरह गलत हैं। मिर्गी एक चिकित्सकीय स्थिति है और इसका इलाज संभव है। समय पर दवा और डॉक्टर की देखरेख में मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।
निष्कर्ष
मिर्गी के दौरे के समय आपकी जागरूकता किसी की जान बचा सकती है। सही जानकारी और प्रतिक्रिया से न केवल मरीज को त्वरित राहत मिल सकती है, बल्कि समाज में इस बीमारी के प्रति सोच भी बदली जा सकती है। इसलिए अगली बार अगर आप किसी को मिर्गी का दौरा पड़ते देखें, तो घबराएं नहीं, समझदारी से काम लें और ऊपर बताई गई बातों का पालन करें।
मिर्गी से डरें नहीं, समझें और मदद करें।