कैंसर एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य बीमारी है, बशर्ते सही समय पर निदान हो और मरीज सही जीवनशैली अपनाए। कैंसर का इलाज केवल दवाओं या कीमोथेरेपी तक सीमित नहीं होता, बल्कि मरीज की दिनचर्या, खानपान और सोच का उस पर गहरा असर पड़ता है। इसलिए यह जानना ज़रूरी है कि किन चीजों से कैंसर के मरीजों को दूरी बनानी चाहिए, जिससे इलाज का असर बेहतर हो और रिकवरी की प्रक्रिया तेज़ हो। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि कैंसर रोगी को किन आदतों, आहार और वातावरण से बचना चाहिए।
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तम्बाकू और शराब से करें पूरी तरह परहेज़
तम्बाकू और शराब कैंसर के सबसे बड़े कारक माने जाते हैं। यदि किसी को पहले से ही कैंसर हो चुका है, तो इनका सेवन बीमारी को और गंभीर बना सकता है।
- तम्बाकू (स्मोकिंग, गुटखा, पान मसाला आदि) फेफड़ों, मुंह, गले और ब्लैडर कैंसर का प्रमुख कारण है।
- शराब लिवर, गले, स्तन और कोलोन कैंसर को बढ़ावा देती है।
इन दोनों चीजों से दूरी बनाना न केवल बीमारी के दोबारा होने के खतरे को कम करता है, बल्कि इलाज के दौरान शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बनाए रखता है।
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प्रोसेस्ड और जंक फूड से बचें
कैंसर मरीजों के लिए आहार बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रोसेस्ड फूड (जैसे डिब्बाबंद खाना, फास्ट फूड, पैकेज्ड स्नैक्स आदि) में मौजूद प्रिजर्वेटिव और कृत्रिम रसायन शरीर में विषैले तत्वों को बढ़ाते हैं।
- बेकरी उत्पाद, कोल्ड ड्रिंक्स, चिप्स, रेड मीट और ज्यादा तला हुआ खाना कैंसर कोशिकाओं को सक्रिय कर सकता है।
- इनमें एंटीऑक्सीडेंट की कमी होती है और शरीर को पोषण नहीं मिलता।
कैंसर मरीजों को हरी सब्जियाँ, फल, साबुत अनाज, दालें और कम फैट वाला पौष्टिक आहार लेना चाहिए जो शरीर को मज़बूती दें।
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तनाव और मानसिक दबाव से दूर रहें
कई रिसर्च बताते हैं कि मानसिक स्थिति का प्रभाव प्रतिरक्षा प्रणाली पर पड़ता है। कैंसर का इलाज लंबा और मानसिक रूप से थकाने वाला हो सकता है, लेकिन अगर मरीज नकारात्मक सोच में उलझ जाए तो इसका असर शरीर की रिकवरी पर पड़ता है।
- अत्यधिक चिंता, अवसाद (डिप्रेशन), अकेलापन और डर शरीर की हीलिंग को धीमा कर सकते हैं।
- ऐसे में योग, ध्यान, पॉजिटिव सोच, परिवार और दोस्तों का साथ मानसिक मजबूती देने में मदद करता है।
अगर ज़रूरत हो, तो प्रोफेशनल काउंसलिंग या थेरेपी का सहारा लेना भी फायदेमंद होता है।
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केमिकल युक्त उत्पादों और प्रदूषण से सावधानी
कैंसर मरीजों को रासायनिक पदार्थों से दूर रहना चाहिए। कई घरेलू उपयोग की चीजों में ऐसे रसायन होते हैं जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
- हेयर डाई, ब्लीच, एरोसोल स्प्रे, कीटनाशक, पेंट और क्लीनिंग एजेंट्स में टॉक्सिक केमिकल हो सकते हैं।
- प्रदूषित वातावरण (जैसे धुएँ, धूल और जहरीली गैसों) से भी दूरी बनाना जरूरी है, खासकर अगर मरीज को फेफड़ों से जुड़ा कैंसर हो।
प्राकृतिक और ऑर्गेनिक उत्पादों का प्रयोग करें और साफ-सुथरे वातावरण में रहें।
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संक्रमण और अनियंत्रित दवाओं से बचाव जरूरी
कैंसर के इलाज के दौरान मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो जाती है, जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- ऐसे में भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना चाहिए।
- बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवा, सप्लीमेंट या जड़ी-बूटी न लें क्योंकि इससे इलाज में रुकावट आ सकती है या दवाओं के साथ प्रतिक्रिया हो सकती है।
- यदि कीमोथेरेपी या रेडिएशन चल रहा हो, तो साफ-सफाई और हाइजीन का खास ध्यान देना जरूरी है।
निष्कर्ष
कैंसर के मरीजों को इलाज के साथ-साथ जीवनशैली में भी विशेष ध्यान देना चाहिए। जितना जरूरी दवा और डॉक्टर का मार्गदर्शन है, उतना ही जरूरी है कि मरीज खुद सजग और सतर्क रहे। सही खानपान, सकारात्मक सोच और हानिकारक चीजों से दूरी बनाकर न केवल इलाज का असर बढ़ाया जा सकता है, बल्कि जीवन को बेहतर और स्वस्थ भी बनाया जा सकता है।
अगर आप या आपके परिवार में कोई कैंसर से जूझ रहा है, तो इन सावधानियों को अपनाएं और डॉक्टर की सलाह का नियमित पालन करें। जीवन की हर बीमारी का सामना आत्मविश्वास और समझदारी से किया जा सकता है।