बहुत-सी महिलाओं के मन में यह सवाल उठता है कि अगर उनका पहला बच्चा सिजेरियन डिलीवरी से हुआ था, तो क्या दूसरा बच्चा नॉर्मल डिलीवरी से हो सकता है? यह चिंता स्वाभाविक है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो दूसरी बार मां बनने जा रही हैं और इस बार वे नॉर्मल डिलीवरी की उम्मीद रखती हैं। चिकित्सा विज्ञान में इसे VBAC (Vaginal Birth After Cesarean) कहा जाता है, जिसका मतलब है कि पहली बार सिजेरियन के बाद दूसरी बार सामान्य प्रसव की कोशिश करना। हाल के वर्षों में VBAC की सफलता दर में काफी सुधार हुआ है, और यह पूरी तरह से संभव है बशर्ते कुछ विशेष परिस्थितियाँ अनुकूल हों।
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि पहला सिजेरियन क्यों हुआ था। यदि यह किसी अस्थायी कारण से हुआ हो — जैसे कि बच्चा उल्टी पोजीशन में था, या मां की तबीयत उस समय ठीक नहीं थी — तो अगली बार नॉर्मल डिलीवरी की संभावना अधिक होती है। लेकिन अगर सिजेरियन किसी स्थायी कारण से हुआ था जैसे कि पेल्विक बोन की बनावट छोटी होना, तो उस स्थिति में VBAC संभव नहीं हो सकता।
डॉक्टर सामान्यत: निम्नलिखित स्थितियों में दूसरी डिलीवरी को नॉर्मल तरीके से करने की अनुमति देते हैं:
- पहले सिजेरियन में “लो ट्रांसवर्स इनसिज़न” (Low Transverse Incision) हुआ हो, यानी निचले हिस्से में क्षैतिज चीरा। इस प्रकार के चीरे में गर्भाशय फटने का खतरा बहुत कम होता है, इसलिए VBAC सुरक्षित मानी जाती है।
- पिछली डिलीवरी के बाद मां की सेहत सामान्य रही हो, और गर्भाशय की कोई कमजोरी न हो।
- दूसरी गर्भावस्था में कोई कॉम्प्लिकेशन न हो, जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, या बच्चा बहुत बड़ा न हो (Macrosomia)।
4.डिलीवरी का समय पूर्ण हो चुका हो (कम से कम 37 सप्ताह) और बच्चा सिर नीचे की ओर हो।
हालांकि VBAC में कुछ जोखिम भी जुड़े होते हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है यूटराइन रुप्चर (Uterine Rupture) — यानी गर्भाशय का फटना। यह एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है, जिससे मां और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है। इसलिए VBAC की कोशिश हमेशा किसी अच्छे अस्पताल में होनी चाहिए, जहाँ इमरजेंसी में तुरंत सिजेरियन की सुविधा उपलब्ध हो।
आजकल कई डॉक्टर और अस्पताल VBAC को बढ़ावा दे रहे हैं, क्योंकि यदि यह सफल हो जाता है, तो मां को जल्दी रिकवरी मिलती है, ऑपरेशन से जुड़ी जटिलताओं से बचा जा सकता है, और भविष्य में और बच्चे होने की संभावना भी बढ़ती है। इसके अलावा, नॉर्मल डिलीवरी मां और बच्चे दोनों के लिए अधिक नैसर्गिक और सुरक्षित मानी जाती है, खासकर दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिहाज से।
महत्वपूर्ण यह है कि डॉक्टर से खुलकर बातचीत की जाए। महिला को अपनी पिछली डिलीवरी की रिपोर्ट्स, यूएसजी रिपोर्ट्स, और डॉक्टर की सलाह के आधार पर निर्णय लेना चाहिए। कई बार महिलाएं इंटरनेट या परिचितों की बातों के आधार पर निष्कर्ष निकाल लेती हैं, जो उचित नहीं है। हर महिला की स्थिति अलग होती है, और डॉक्टर ही सही मार्गदर्शन दे सकते हैं।
एक और बात जो ध्यान रखने योग्य है, वह है मानसिक तैयारी। VBAC की कोशिश करने वाली महिलाओं को अपने डर और चिंता से उबरना होता है। योग, ध्यान, और सकारात्मक सोच इसमें मददगार हो सकते हैं। साथ ही, गर्भावस्था के दौरान संतुलित आहार, हल्का व्यायाम और नियमित जांच से VBAC की सफलता की संभावना और बढ़ जाती है।