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नाभि शरीर का एक संवेदनशील हिस्सा है, जो न केवल शारीरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह आंतरिक अंगों के संकेतों को भी दर्शाता है। जब नाभि में अचानक दर्द महसूस होता है, तो अक्सर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं या सामान्य गैस, अपच या पेट दर्द समझकर घरेलू उपाय करने लगते हैं। लेकिन हर बार नाभि में दर्द सिर्फ गैस या भारी खाना खाने की वजह से नहीं होता, यह कभी-कभी शरीर के किसी गंभीर रोग का संकेत भी हो सकता है। यह लेख आपको बताएगा कि नाभि में दर्द के क्या संभावित कारण हो सकते हैं, किन घरेलू उपायों से राहत मिल सकती है और कब आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

नाभि में दर्द के संभावित कारण

नाभि में दर्द का सबसे सामान्य कारण पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं होती हैं, लेकिन इसके अलावा कई आंतरिक कारण भी हो सकते हैं। सबसे आम कारणों में गैस, कब्ज, पेट का संक्रमण, भोजन का पाचन न होना, अपेंडिसाइटिस, यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI), आंतों में सूजन या इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD), हर्निया, आंतों में रुकावट, पित्ताशय की पथरी या किडनी से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। महिलाओं में यह दर्द कभी-कभी मासिक धर्म से पहले या ओव्यूलेशन के समय भी हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को भी नाभि के आसपास खिंचाव और दर्द महसूस हो सकता है। एक और कम ज्ञात लेकिन गंभीर कारण हो सकता है ‘मेसेंटेरिक इस्कीमिया’, जिसमें आंतों को खून की आपूर्ति बाधित हो जाती है और यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।

गंभीर बीमारियों के संकेत हो सकते हैं नाभि के आसपास दर्द

यदि नाभि में दर्द लगातार बना रहे, बढ़ता जाए, या उसके साथ बुखार, उल्टी, पेट फूलना, मल में खून आना, भूख न लगना, या पेशाब में जलन जैसी अन्य समस्याएं भी जुड़ जाएं तो यह गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। जैसे कि अगर दर्द दाईं ओर नीचे की ओर ज्यादा हो रहा है, तो यह अपेंडिसाइटिस हो सकता है। यदि पेट के निचले हिस्से में ऐंठन के साथ पेशाब में दिक्कत हो रही है, तो यह UTI या किडनी इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है। अगर नाभि से सफेद या पीला तरल बह रहा है, तो यह किसी प्रकार का संक्रमण हो सकता है। कुछ मामलों में नाभि का दर्द गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर, पैंक्रियाटाइटिस (अग्न्याशय की सूजन) या हर्निया का संकेत भी दे सकता है। इसलिए इसे हल्के में लेना समझदारी नहीं होगी।

घरेलू उपाय जो नाभि के दर्द में ला सकते हैं राहत

अगर नाभि का दर्द किसी सामान्य कारण जैसे गैस, कब्ज या भारी खाना खाने की वजह से है, तो कुछ घरेलू उपायों से राहत मिल सकती है। सबसे पहले, आप अजवाइन और काला नमक का मिश्रण गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं। यह पाचन में मदद करता है और गैस को कम करता है। हींग का पानी पीना या हींग को गुनगुने पानी में मिलाकर पेट पर मालिश करना भी कारगर हो सकता है। गुनगुनी सिकाई (hot compress) नाभि के आस-पास करने से भी आराम मिलता है। इसके अलावा, पुदीने का अर्क, सौंफ और अदरक का सेवन पेट की ऐंठन और गैस को दूर करता है। नींबू पानी में थोड़ा नमक और शहद मिलाकर पीने से भी अपच और भारीपन में राहत मिलती है।

खाली पेट एक गिलास गुनगुना पानी पीना और खाने के बाद थोड़ी देर टहलना भी पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है। लेकिन अगर दर्द एक से दो दिन में नहीं जाता या बार-बार लौटता है, तो घरेलू उपायों के भरोसे न रहकर डॉक्टर से मिलना बेहतर होगा।

नाभि में दर्द से बचने के लिए क्या करें और क्या न करें

नाभि में दर्द से बचने के लिए जीवनशैली और खान-पान में सुधार बेहद जरूरी है। फाइबर युक्त आहार लेना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, तली-भुनी और बहुत मसालेदार चीजों से परहेज़ करना जरूरी है। खाने के बाद कुछ देर आराम करने के बजाय थोड़ी टहलना चाहिए ताकि खाना पच सके। ज्यादा देर तक भूखे रहना या बहुत अधिक बार ओवरईटिंग करना भी नाभि में दर्द को बढ़ा सकता है।

जिन्हें बार-बार पेट की समस्याएं होती हैं, उन्हें समय-समय पर डिहाइड्रेशन, पाचन और यूरिन की जांच करवानी चाहिए। व्यायाम और योग भी पाचन को बेहतर करने में मदद करते हैं। पेट की मालिश, प्राणायाम, और कुछ विशेष योगासन जैसे पवनमुक्तासन, वज्रासन आदि काफी लाभदायक हो सकते हैं। लेकिन अगर किसी को पहले से आंतों की या पेट की कोई बीमारी है, तो योग और घरेलू उपाय किसी एक्सपर्ट से पूछकर ही अपनाएं।

कब लें डॉक्टरी सलाह? नजरअंदाज न करें ये लक्षण

अगर नाभि का दर्द दो-तीन दिन से अधिक समय तक बना रहता है, या उसके साथ अन्य लक्षण भी जुड़ते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जैसे कि:

  • तेज और लगातार बढ़ता हुआ दर्द

  • पेट में सूजन या कठोरता

  • उल्टी, मतली या बुखार

  • मल या पेशाब में खून आना

  • लगातार भूख न लगना या वजन घटना

  • नाभि से किसी प्रकार का द्रव या मवाद निकलना

ऐसे लक्षण संकेत देते हैं कि मामला गंभीर हो सकता है और तुरंत चिकित्सकीय जांच की आवश्यकता है। डॉक्टर अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट या CT स्कैन आदि से सही कारण की पुष्टि कर सकते हैं।

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