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हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप एक ऐसा स्वास्थ्य विकार है जिसे अक्सर “साइलेंट किलर” कहा जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह रोग शुरुआत में बिना किसी स्पष्ट लक्षण के धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है और कई बार तब तक पता नहीं चलता जब तक यह गंभीर रूप नहीं ले लेता। भारत में हर तीसरा व्यक्ति हाइपरटेंशन से प्रभावित है, और यह हृदय रोग, किडनी फेल्योर, स्ट्रोक और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकता है।

इस ब्लॉग में हम हाइपरटेंशन के कारण, लक्षण, प्रकार, इसके दुष्प्रभाव, उपचार और बचाव के तरीकों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

  1. हाइपरटेंशन क्या है?

हाइपरटेंशन का मतलब है रक्त का दबाव सामान्य से अधिक हो जाना।
स्वस्थ व्यक्ति के लिए सामान्य रक्तचाप 120/80 mmHg होता है।

  • यदि सिस्टोलिक (ऊपरी संख्या) 130 mmHg या इससे अधिक हो
  • या डायस्टोलिक (निचली संख्या) 80 mmHg या इससे अधिक हो
    तो व्यक्ति को उच्च रक्तचाप माना जाता है।

हाइपरटेंशन मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है:

  • प्राथमिक (Primary) हाइपरटेंशन: यह सबसे आम प्रकार है और इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं होता। यह धीरे-धीरे विकसित होता है।
  • द्वितीयक (Secondary) हाइपरटेंशन: यह किसी अन्य बीमारी जैसे किडनी रोग, हार्मोनल असंतुलन या दवाओं के कारण होता है।
  1. हाइपरटेंशन के मुख्य कारण

हाइपरटेंशन के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • गलत खानपान: अत्यधिक नमक, तले हुए खाद्य पदार्थ और प्रोसेस्ड फूड का सेवन।
  • शारीरिक निष्क्रियता: दिनभर बैठे रहना और व्यायाम की कमी।
  • मोटापा: बढ़ा हुआ वजन रक्तचाप बढ़ाता है।
  • तनाव: लगातार मानसिक तनाव हाइपरटेंशन का बड़ा कारण है।
  • धूम्रपान और शराब: ये आदतें धमनियों को संकुचित करती हैं और रक्तचाप को बढ़ाती हैं।
  • वंशानुगत कारण: यदि परिवार में किसी को हाइपरटेंशन है तो इसकी संभावना बढ़ जाती है।
  1. हाइपरटेंशन के लक्षणजब हो जाए देर

हाइपरटेंशन को “साइलेंट किलर” इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यह शुरुआत में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं देता। लेकिन जब यह बढ़ जाता है तो ये लक्षण देखे जा सकते हैं:

  • सिरदर्द, खासकर सुबह के समय
  • चक्कर आना या थकान महसूस होना
  • आंखों के सामने धुंधला दिखना
  • हृदय गति तेज़ होना
  • सांस फूलना
  • छाती में दर्द
  • नाक से खून आना (कुछ मामलों में)

ध्यान दें कि ये लक्षण गंभीर स्थिति में ही उभरते हैं, इसलिए नियमित रूप से रक्तचाप की जांच करवाना आवश्यक है।

  1. हाइपरटेंशन के जोखिम और दुष्प्रभाव

यदि हाइपरटेंशन का समय पर इलाज न किया जाए तो यह शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है:

  • हृदय रोग: हाई ब्लड प्रेशर दिल पर दबाव डालता है जिससे हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर हो सकता है।
  • स्ट्रोक: मस्तिष्क की रक्त धमनियों पर असर डालकर स्ट्रोक का खतरा बढ़ाता है।
  • किडनी फेल्योर: किडनी की रक्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे किडनी काम करना बंद कर देती है।
  • आंखों की रोशनी पर असर: रेटिना को नुकसान पहुंचाकर दृष्टिहीनता तक हो सकती है।
  1. हाइपरटेंशन का उपचार और रोकथाम

हाइपरटेंशन का इलाज जीवनशैली में बदलाव और दवाओं के माध्यम से संभव है।

उपचार के उपाय:

  • डॉक्टर द्वारा बताई गई ब्लड प्रेशर की दवाओं का नियमित सेवन।
  • नियमित व्यायाम, जैसे तेज चलना, योग या तैराकी।
  • नमक का सेवन सीमित करना – दिनभर में अधिकतम 5 ग्राम से कम।
  • धूम्रपान और शराब से परहेज
  • तनाव को कम करने के लिए ध्यान और प्राणायाम
  • संतुलित आहार – जिसमें फल, सब्जियां, कम वसा वाला दूध, साबुत अनाज और पोटैशियम युक्त आहार शामिल हों।

निगरानी:

  • सप्ताह में कम से कम एक बार ब्लड प्रेशर की जांच करें, खासकर यदि परिवार में किसी को यह समस्या है।
  • समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लेते रहें।

निष्कर्ष

हाइपरटेंशन एक खामोश लेकिन घातक बीमारी है जो शरीर को भीतर से नुकसान पहुंचाती है। समय रहते इसकी पहचान, नियमित जांच, जीवनशैली में बदलाव और उचित इलाज से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। अगर आप या आपके परिवार में किसी को उच्च रक्तचाप की समस्या है, तो इसे नजरअंदाज न करें।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर ही इस साइलेंट किलर को हराया जा सकता है।

स्वस्थ रहें, सतर्क रहें और समय पर जांच कराकर अपने दिल और जीवन की रक्षा करें।

 

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