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गर्मी का मौसम अपने साथ कई परेशानियां लेकर आता है, लेकिन जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाए और लू चलने लगे, तब यह न सिर्फ असहनीय हो जाता है बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकता है। भीषण गर्मी और लू के कारण हीटस्ट्रोक (लू लगना) और डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। खासकर बच्चे, बुज़ुर्ग और पहले से बीमार लोग इस समय सबसे ज़्यादा जोखिम में रहते हैं।

इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि हीटस्ट्रोक और डिहाइड्रेशन क्या हैं, इनके लक्षण क्या होते हैं, इनसे कैसे बचा जा सकता है और अगर किसी को ये समस्याएं हो जाएं तो घरेलू स्तर पर क्या किया जा सकता है।

  1. हीटस्ट्रोक और डिहाइड्रेशन क्या हैं?

हीटस्ट्रोक, जिसे सामान्य भाषा में लू लगना कहते हैं, तब होता है जब शरीर का तापमान सामान्य से अधिक बढ़ जाता है और शरीर की कूलिंग प्रणाली (पसीना आना) सही से काम नहीं करती। यह स्थिति तब आती है जब हम लंबे समय तक तेज धूप में रहते हैं या उच्च तापमान में काम करते हैं।

डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी। जब शरीर ज़रूरत से ज़्यादा पसीना निकालता है और उसकी पूर्ति नहीं हो पाती, तब यह स्थिति बनती है। गर्मियों में पानी की कमी से चक्कर आना, कमजोरी, सिरदर्द जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं।

  1. हीटस्ट्रोक और डिहाइड्रेशन के प्रमुख लक्षण

इन दोनों समस्याओं के लक्षणों को जानना बहुत जरूरी है ताकि समय रहते इलाज किया जा सके:

हीटस्ट्रोक के लक्षण:

  • तेज बुखार (104°F या उससे अधिक)
  • चक्कर आना और बेहोशी
  • मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन
  • त्वचा का लाल, गर्म और सूखा हो जाना (पसीना नहीं आना)
  • तेज़ और धीमी होती सांसें
  • भ्रम या चक्कर महसूस होना

डिहाइड्रेशन के लक्षण:

  • बहुत ज़्यादा प्यास लगना
  • मुंह और जीभ का सूख जाना
  • कम यूरिन आना और उसका रंग गहरा होना
  • थकावट और चक्कर आना
  • सिरदर्द और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई

अगर ये लक्षण नज़र आएं तो तुरंत सावधानी बरतना जरूरी है।

  1. गर्मी और लू से बचने के आसान उपाय

भीषण गर्मी में कुछ आसान उपाय अपनाकर आप खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं:

  • धूप से बचाव करें: सुबह 11 बजे से दोपहर 4 बजे तक घर के बाहर न निकलें। अगर निकलना ज़रूरी हो, तो सिर पर टोपी या कपड़ा बांधें और छाता जरूर साथ रखें।
  • ढीले और हल्के रंग के कपड़े पहनें: सूती कपड़े पहनने से पसीना जल्दी सूखता है और शरीर को ठंडक मिलती है।
  • भरपूर पानी पिएं: बिना प्यास के भी हर दो घंटे में थोड़ा-थोड़ा पानी पिएं। नींबू पानी, नारियल पानी और छाछ पीना भी फायदेमंद होता है।
  • भोजन हल्का और पौष्टिक लें: गरिष्ठ और तला-भुना खाना शरीर को गरम करता है। इसकी बजाय फल, सब्जियां और दही को आहार में शामिल करें।
  • घर में ठंडक बनाए रखें: खिड़कियों पर गीले पर्दे लगाएं, ठंडी हवा के लिए पंखे और कूलर का प्रयोग करें। दिन के समय घर के पर्दे बंद रखें।
  1. अगर हीटस्ट्रोक या डिहाइड्रेशन हो जाए तो क्या करें?

अगर किसी को हीटस्ट्रोक या डिहाइड्रेशन हो जाए तो तुरंत इन प्राथमिक उपायों को अपनाएं:

  • व्यक्ति को छांव या ठंडी जगह पर लाएं।
  • उसके शरीर को ठंडा करें – कपड़े हटाएं, ठंडे पानी की पट्टी रखें या शरीर पर पानी छिड़कें।
  • पानी या ओआरएस घोल दें (अगर व्यक्ति होश में है)।
  • नारियल पानी या नींबू-पानी दिया जा सकता है, लेकिन कैफीन या शराब से बचें।
  • अगर व्यक्ति बेहोश हो जाए या शरीर का तापमान बहुत अधिक हो तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।
  1. किन लोगों को है सबसे ज्यादा खतरा?

गर्मी में निम्नलिखित लोगों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है:

  • बुज़ुर्ग और छोटे बच्चे
  • गर्भवती महिलाएं
  • हाई ब्लड प्रेशर, शुगर या दिल की बीमारी से पीड़ित लोग
  • बाहर काम करने वाले मजदूर, पुलिसकर्मी, सफाई कर्मचारी आदि

इन लोगों को जितना हो सके घर के अंदर ही रहना चाहिए और पर्याप्त पानी पीते रहना चाहिए।

निष्कर्ष: खुद को रखें सुरक्षित, सतर्क रहें

गर्मी और लू के मौसम में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है। हीटस्ट्रोक और डिहाइड्रेशन जैसे खतरे गंभीर होते हैं, लेकिन थोड़ी सी समझदारी और जागरूकता से इनसे आसानी से बचा जा सकता है। समय पर तरल पदार्थ लें, धूप से बचें और शरीर को ठंडा रखने का प्रयास करें। अगर किसी को इन लक्षणों की शिकायत हो तो उसे हल्के में न लें और तुरंत मदद करें।

याद रखें — गर्मी का मौसम हर साल आता है, लेकिन आपकी सतर्कता और जानकारी इसे सुरक्षित बना सकती है। अपने और अपने परिवार की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।

 

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