स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे नए शोध और रिसर्च समय-समय पर हमें बीमारियों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां देते हैं। हाल ही में यूरोपियन स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन कॉन्फ्रेंस (European Stroke Organisation Conference – ESOC) 2025 में पेश की गई एक रिसर्च ने महिलाओं में स्ट्रोक को लेकर चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं।
अब तक माना जाता रहा है कि स्ट्रोक का खतरा दोनों लिंगों में समान रूप से मौजूद होता है, लेकिन इस नई रिसर्च से पता चला है कि महिलाओं में न केवल स्ट्रोक का खतरा अधिक है, बल्कि इसके लक्षण, कारण और असर भी पुरुषों से अलग हो सकते हैं।
इस ब्लॉग में हम इस रिसर्च के निष्कर्षों को विस्तार से समझेंगे और जानेंगे कि महिलाओं में स्ट्रोक के खतरे को कैसे पहचाना और कम किया जा सकता है।
- रिसर्च में क्या सामने आया?
ESOC 2025 में प्रस्तुत इस अध्ययन में यूरोप और अमेरिका की 50,000 से अधिक महिलाओं के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं में स्ट्रोक का खतरा तेजी से बढ़ता है, खासकर 50 वर्ष के बाद, जब हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं।
रिसर्च के अनुसार, महिलाओं में स्ट्रोक के लक्षण पुरुषों की तुलना में अधिक “साइलेंट” या अस्पष्ट होते हैं। इसी कारण से कई बार सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता, जिससे जान का खतरा या स्थायी विकलांगता की संभावना बढ़ जाती है।
- महिलाओं में स्ट्रोक के लक्षण – पुरुषों से कैसे अलग?
स्ट्रोक के आम लक्षण जैसे कि चेहरे का टेढ़ा हो जाना, बोलने में दिक्कत और हाथ या पैर में कमजोरी, महिलाओं में भी देखे जाते हैं। लेकिन महिलाओं में कुछ असामान्य लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे:
- अचानक अत्यधिक थकान या कमजोरी
- मानसिक भ्रम या चक्कर
- उल्टी या मतली
- तेज सिरदर्द, बिना किसी वजह के
- सांस लेने में कठिनाई
- होश खो देना
चूंकि ये लक्षण स्ट्रोक से जुड़े पारंपरिक संकेतों से अलग हैं, इसलिए अक्सर इन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता।
- महिलाओं में स्ट्रोक के खतरे के पीछे छिपे कारण
इस रिसर्च के मुताबिक, महिलाओं में स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाने वाले कुछ विशिष्ट कारण हैं:
- हार्मोनल बदलाव: मेनोपॉज़ के बाद एस्ट्रोजेन स्तर में गिरावट स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकती है।
- माइग्रेन: महिलाओं में माइग्रेन स्ट्रोक का एक गंभीर रिस्क फैक्टर हो सकता है, विशेष रूप से यदि वे धूम्रपान करती हों या हार्मोनल गर्भनिरोधक ले रही हों।
- गर्भावस्था और डिलीवरी: गर्भावस्था से जुड़ी कुछ स्थितियां जैसे प्रीक्लेम्पसिया (उच्च रक्तचाप) स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाती हैं।
- अवसाद और चिंता: मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं, जो महिलाओं में अधिक पाई जाती हैं, रक्तचाप और हृदय स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती हैं।
- अनियमित जीवनशैली: व्यायाम की कमी, अधिक वजन, धूम्रपान और शराब का सेवन स्ट्रोक की संभावना को कई गुना बढ़ा देता है।
- बचाव के उपाय – क्या कर सकती हैं महिलाएं?
स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थिति से बचाव हमेशा इलाज से बेहतर होता है। ESOC 2025 की रिपोर्ट के आधार पर महिलाएं निम्नलिखित उपाय करके स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकती हैं:
- ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखें – नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह से।
- स्वस्थ आहार लें – फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम नमक वाला भोजन करें।
- नियमित व्यायाम करें – रोज़ कम से कम 30 मिनट की गतिविधि जैसे तेज़ चलना, योग या तैराकी।
- तनाव कम करें – ध्यान, मेडिटेशन और पर्याप्त नींद से तनाव को नियंत्रित रखें।
- धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं – ये दोनों स्ट्रोक के खतरे को सीधा बढ़ाते हैं।
- माइग्रेन, अवसाद और हार्मोनल समस्याओं को नजरअंदाज न करें – सही इलाज करवाना जरूरी है।
- समय रहते पहचान और इलाज – जान बचाने की कुंजी
इस रिसर्च में सबसे अहम बात यह सामने आई कि महिलाओं में स्ट्रोक की पहचान में अक्सर देरी होती है, क्योंकि वे अपने लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेतीं या डॉक्टर तक पहुंचने में हिचकती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान शुरू के 3 से 4 घंटे के अंदर हो जाए, तो मरीज की जान बचाई जा सकती है और स्थायी नुकसान से बचा जा सकता है।
एक सरल परीक्षण “FAST” (Face, Arms, Speech, Time) महिलाओं में भी उतना ही उपयोगी है:
- Face: क्या चेहरा एक तरफ झुक गया है?
- Arms: क्या एक हाथ कमजोर या सुन्न हो गया है?
- Speech: क्या बोलने में परेशानी हो रही है?
- Time: यदि ऊपर के कोई भी लक्षण दिखें, तो समय गंवाए बिना मेडिकल सहायता लें।
निष्कर्ष
यूरोपियन स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन कॉन्फ्रेंस 2025 की नई रिसर्च ने यह स्पष्ट कर दिया है कि महिलाओं में स्ट्रोक का खतरा पहले से अधिक है, और इसके लक्षण भी पुरुषों से अलग होते हैं। इसलिए जरूरी है कि महिलाएं अपने शरीर के संकेतों को नजरअंदाज न करें और नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं।
स्ट्रोक एक जानलेवा लेकिन रोके जाने योग्य स्थिति है। थोड़ी सी सजगता, स्वस्थ जीवनशैली और समय पर इलाज से इस खतरे से बचा जा सकता है। आज से ही कदम उठाएं — क्योंकि जान है, तो जहान है।