हम सभी जानते हैं कि पानी हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी है। यह शरीर को हाइड्रेट रखने, विषैले पदार्थों को बाहर निकालने और अंगों के सही तरीके से काम करने में मदद करता है। डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट्स अक्सर दिनभर में कम से कम 8–10 गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ विशेष परिस्थितियों में या बीमारियों के दौरान बहुत अधिक पानी पीना शरीर के लिए हानिकारक भी साबित हो सकता है?
कुछ गंभीर बीमारियों में अत्यधिक पानी पीना “वॉटर इंटॉक्सिकेशन” या हाइपोनेट्रेमिया (Hyponatremia) का कारण बन सकता है, जिससे शरीर में सोडियम का संतुलन बिगड़ जाता है और यह जानलेवा भी हो सकता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कौन-सी बीमारियों में ज्यादा पानी पीना ज़हर बन सकता है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
- हृदय संबंधी रोग (Heart Diseases)
हृदय यानी दिल की बीमारी जैसे Congestive Heart Failure (CHF) वाले मरीजों को आमतौर पर फ्लुइड लिमिटेशन (fluid restriction) की सलाह दी जाती है। इसका कारण यह है कि जब शरीर में अत्यधिक तरल पदार्थ जमा हो जाता है तो हृदय को रक्त पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
अत्यधिक पानी के खतरे:
- शरीर में सूजन (हाथ-पैर में)
- सांस लेने में दिक्कत
- फेफड़ों में पानी भरना
- दिल पर अतिरिक्त दबाव
इसलिए हृदय रोगियों को डॉक्टर द्वारा तय की गई मात्रा से ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए।
- किडनी की बीमारी (Kidney Diseases)
क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) या एक्यूट किडनी फेल्योर जैसी समस्याओं में किडनी शरीर से अतिरिक्त पानी और विषैले पदार्थों को निकालने में असमर्थ हो जाती है। ऐसे में अगर मरीज अधिक मात्रा में पानी पीता है, तो यह शरीर में जमा होकर edema (सूजन), ब्लड प्रेशर में बढ़ोतरी और हृदय पर भार जैसे गंभीर परिणाम दे सकता है।
लक्षण जो बताते हैं कि पानी ज्यादा हो गया है:
- चेहरे और पैरों में सूजन
- पेशाब कम आना
- थकावट और कमजोरी
- सांस फूलना
ऐसे मरीजों को डॉक्टर द्वारा तय की गई मात्रा में ही तरल पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है।
- लीवर की बीमारियां (Liver Cirrhosis और Ascites)
लीवर सिरोसिस या लीवर फेल्योर जैसी बीमारियों में शरीर में तरल पदार्थ का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे पेट में पानी भरने लगता है जिसे Ascites कहा जाता है। यदि ऐसे मरीज ज्यादा पानी पीते हैं तो यह स्थिति और अधिक बिगड़ सकती है।
ज्यादा पानी के प्रभाव:
- पेट में सूजन बढ़ना
- भूख में कमी
- उल्टी और मतली
- शारीरिक गतिविधियों में दिक्कत
लीवर के मरीजों को सोडियम और पानी के संतुलन को बनाए रखने के लिए सीमित मात्रा में ही पानी पीने की सलाह दी जाती है।
- हाइपोनेट्रेमिया (Hyponatremia) – जब पानी ही जहर बन जाए
हाइपोनेट्रेमिया वह स्थिति है जब शरीर में सोडियम की मात्रा बहुत कम हो जाती है, अक्सर अत्यधिक पानी पीने के कारण। जब हम जरूरत से ज्यादा पानी पीते हैं, तो वह शरीर में मौजूद सोडियम को पतला कर देता है, जिससे कोशिकाएं फूल जाती हैं। मस्तिष्क की कोशिकाएं अगर फूलने लगें तो यह स्थिति जानलेवा हो सकती है।
इसके लक्षण:
- सिर दर्द
- मतली और उल्टी
- भ्रम या चक्कर
- दौरे पड़ना
- बेहोशी या कोमा
यह स्थिति खासकर खिलाड़ियों, रनर्स, या गर्मी में लगातार पानी पीने वालों में देखी जाती है।
- थायरॉइड और एड्रिनल ग्रंथि से जुड़ी समस्याएं
हाइपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism) और एड्रिनल इनसफिशिएंसी जैसी हार्मोनल बीमारियों में शरीर के तरल पदार्थ को नियंत्रित करने की क्षमता प्रभावित होती है। यदि इन रोगों में अत्यधिक पानी पी लिया जाए तो हाइपोनेट्रेमिया या अन्य जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
इसलिए ऐसे मरीजों को भी पानी की मात्रा डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेनी चाहिए।
निष्कर्ष: संतुलन ही है सबसे बड़ा उपाय
पानी जीवन का आधार है, लेकिन अत्यधिक मात्रा में लिया गया पानी भी किसी ज़हर से कम नहीं हो सकता – खासकर तब जब शरीर पहले से ही किसी बीमारी से जूझ रहा हो। हृदय, किडनी, लीवर और हार्मोनल बीमारियों में पानी की मात्रा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।
हर व्यक्ति की शरीर की ज़रूरत अलग होती है, इसलिए यह मान लेना कि जितना ज्यादा पानी पिएंगे उतना बेहतर होगा, एक मिथक है।
इसलिए, यदि आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं या किसी इलाज के दौर से गुजर रहे हैं, तो पानी की मात्रा अपने डॉक्टर की सलाह पर ही तय करें। स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी है – संतुलित पोषण, सही मात्रा में पानी और जागरूकता।
सावधानी अपनाएं, स्वास्थ्य बचाएं।