बचपन एक ऐसा दौर होता है जब शरीर और पाचन तंत्र तेजी से विकास करते हैं। इसी समय पर यदि खानपान या जीवनशैली में थोड़ी भी लापरवाही हो जाए तो कई समस्याएं जन्म ले सकती हैं। ऐसी ही एक आम लेकिन चिंताजनक समस्या है – कब्ज (Constipation)। बहुत से माता-पिता इस बात से परेशान रहते हैं कि उनके बच्चे दिन में एक बार भी सही से मल त्याग (बॉवेल मूवमेंट) नहीं कर पाते। कब्ज से बच्चे न केवल असहज महसूस करते हैं, बल्कि इससे उनका मूड, भूख, नींद और विकास भी प्रभावित हो सकता है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि बच्चों में कब्ज के क्या-क्या कारण हो सकते हैं और माता-पिता इसे कैसे समझें और संभालें।
कम फाइबर युक्त भोजन
बच्चों में कब्ज का सबसे सामान्य कारण है – फाइबर की कमी। आज के समय में बहुत से बच्चे ज्यादा मात्रा में जंक फूड, फास्ट फूड, चॉकलेट, चिप्स और मैदे से बनी चीज़ें खाते हैं। ऐसे आहार में फाइबर न के बराबर होता है, जबकि फाइबर पाचन क्रिया के लिए अत्यंत आवश्यक होता है।
समाधान:
बच्चों को ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज (जैसे गेहूं, दलिया, ओट्स) और दालें खिलाएं। जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़े, उन्हें हेल्दी स्नैक्स की आदत डालें।
पानी की कमी
पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना भी कब्ज की एक मुख्य वजह है। जब शरीर को पर्याप्त पानी नहीं मिलता, तो आंतों में मल सूख जाता है और उसे बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है।
समाधान:
बच्चों को हर दिन 6-8 गिलास पानी पीने के लिए प्रेरित करें। यदि बच्चा पानी पीने में आनाकानी करता है तो उसे नारियल पानी, सूप या फलों के रस के रूप में तरल पदार्थ देना भी उपयोगी हो सकता है।
शौच को रोकना या देर करना
बहुत से बच्चे स्कूल या खेलने के समय टॉयलेट जाना टाल देते हैं, जिससे मल आंतों में जमा होकर सख्त हो जाता है और बाद में दर्द के साथ निकलता है। बार-बार ऐसा होने से कब्ज की स्थिति बन जाती है।
समाधान:
बच्चों को शुरू से ही सिखाएं कि शौच को रोकना ठीक नहीं है। उन्हें सुबह के समय नियमित रूप से टॉयलेट जाने की आदत डालें और यदि स्कूल में टॉयलेट जाने में उन्हें संकोच होता है तो उनसे बात करके समाधान निकालें।
शारीरिक गतिविधियों की कमी
टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर पर लंबे समय तक बैठे रहना बच्चों में शारीरिक निष्क्रियता को बढ़ाता है। इससे पाचन क्रिया धीमी हो जाती है और मल त्याग में समस्या होती है।
समाधान:
बच्चों को दिनभर में कम से कम 1 घंटे की शारीरिक गतिविधि में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। इसमें आउटडोर गेम्स, साइकलिंग, दौड़ना या पार्क में खेलना शामिल हो सकता है।
तनाव और भावनात्मक कारण
बच्चों में मानसिक तनाव, स्कूल का डर, घर में कलह, या किसी नए वातावरण (जैसे नई स्कूल, घर बदलना) से भी कब्ज हो सकता है। भावनात्मक अस्थिरता का प्रभाव सीधा उनके पाचन तंत्र पर पड़ता है।
समाधान:
बच्चों से खुलकर बातचीत करें, उन्हें भावनात्मक सहयोग दें और उन्हें सुरक्षित और सकारात्मक माहौल दें। यदि आपको लगता है कि बच्चा अधिक तनाव में है, तो बाल मनोचिकित्सक से सलाह लें।
कुछ दवाइयों या स्वास्थ्य स्थितियों का प्रभाव
कुछ मामलों में कब्ज किसी बीमारी या दवा के साइड इफेक्ट की वजह से भी हो सकता है, जैसे लोहे की दवाएं, एंटीबायोटिक्स, या थायराइड की समस्या। जन्म से जुड़े न्यूरोलॉजिकल विकार भी कारण बन सकते हैं।
समाधान:
यदि घरेलू उपायों से कब्ज नहीं जा रहा है, या यदि बच्चा अक्सर इस समस्या से जूझ रहा है, तो डॉक्टर से जांच करवाना ज़रूरी है। कभी-कभी कब्ज गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
निष्कर्ष
बच्चों में कब्ज एक आम लेकिन अनदेखी की जाने वाली समस्या है, जिसे समय पर पहचान कर सही दिशा में उपचार करना बेहद ज़रूरी है। हेल्दी डाइट, पर्याप्त पानी, नियमित दिनचर्या और भावनात्मक सहयोग से इस परेशानी को काफी हद तक रोका जा सकता है। यदि समस्या लगातार बनी रहती है तो किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
स्वस्थ पाचन, बच्चों के संपूर्ण विकास की कुंजी है – इसे नजरअंदाज न करें।