कोरोना वायरस (COVID-19) ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया और स्वास्थ्य से जुड़ी कई जटिलताओं को जन्म दिया। शुरुआत में यह बीमारी सिर्फ श्वसन तंत्र (lungs) को प्रभावित करने के लिए जानी जाती थी, लेकिन जैसे-जैसे इसके प्रभाव का अध्ययन बढ़ा, वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने पाया कि यह वायरस शरीर के अन्य अंगों — खासकर हृदय (heart) — पर भी गंभीर असर डालता है।
हाल ही में कई रिपोर्ट्स और मेडिकल स्टडीज में यह बात सामने आई है कि कोरोना से संक्रमित या ठीक हो चुके मरीजों में हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी अन्य बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं। यह स्थिति लोगों के बीच चिंता का विषय बन गई है। आइए इस ब्लॉग में विस्तार से समझते हैं कि क्या यह वाकई सच है, इसके पीछे क्या कारण हैं, किन लोगों को ज्यादा खतरा है और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है।
कोरोना और दिल के बीच संबंध: क्या कहती है रिसर्च?
कोरोना वायरस सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं है। यह शरीर के वेस्कुलर सिस्टम (रक्त वाहिकाएं) और हृदय को भी प्रभावित करता है। वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि कोरोना वायरस शरीर में सूजन (Inflammation) को बढ़ा देता है, जिससे ब्लड क्लॉटिंग यानी रक्त के थक्के बनने की संभावना बढ़ जाती है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- अमेरिका की एक स्टडी के अनुसार, कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों में अगले 1 साल तक हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ा रहता है।
- कोविड-19 के गंभीर मामलों में हृदय की मांसपेशियों (myocardium) में सूजन पाई गई है, जिसे Myocarditis कहा जाता है।
- जिन लोगों को पहले से दिल की बीमारी थी, उनमें कोरोना संक्रमण के बाद स्थिति और बिगड़ जाती है।
हार्ट अटैक क्यों हो रहा है कोरोना मरीजों में?
कोरोना से प्रभावित शरीर में कई ऐसे बदलाव होते हैं, जो हृदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं:
(a) सूजन और इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया
कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत तेज़ी से प्रतिक्रिया करती है। कभी-कभी यह प्रतिक्रिया इतनी अधिक हो जाती है कि शरीर के स्वस्थ अंग भी प्रभावित हो जाते हैं, खासकर हृदय।
(b) ब्लड क्लॉट्स का बनना
कोरोना के दौरान शरीर में खून गाढ़ा हो सकता है, जिससे नसों में थक्के बनते हैं। अगर ये थक्के दिल की धमनियों में बनते हैं तो हार्ट अटैक हो सकता है।
(c) ऑक्सीजन की कमी
कोविड संक्रमण फेफड़ों को प्रभावित करता है, जिससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती। दिल को काम करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे हार्ट फेलियर की संभावना बढ़ जाती है।
(d) तनाव और चिंता
लॉकडाउन, बीमारी का डर, आर्थिक तनाव — ये सभी मानसिक तनाव हार्ट हेल्थ को प्रभावित करते हैं। मानसिक तनाव भी हार्ट अटैक का एक बड़ा कारण है।
किन लोगों को है सबसे ज्यादा खतरा?
कोरोना से जुड़ा हृदय पर प्रभाव हर किसी को नहीं होता, लेकिन कुछ खास समूहों में इसका खतरा ज्यादा होता है:
- जो लोग पहले से दिल की बीमारी, ब्लड प्रेशर, या डायबिटीज से पीड़ित हैं
- जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है
- जो लोग स्मोकिंग या शराब का सेवन करते हैं
- जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है
- कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित रहे लोग या जिन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया हो
कोरोना के बाद हार्ट चेकअप क्यों जरूरी है?
अगर आप कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, तो आपकी जिम्मेदारी सिर्फ संक्रमण से ठीक होना नहीं है, बल्कि यह भी जरूरी है कि आप अपने दिल की जांच करवाएं।
जरूरी जांचें:
- ECG (Electrocardiogram)
- Echocardiogram
- ब्लड टेस्ट (Troponin, D-Dimer)
- BP और शुगर स्तर की जांच
अगर आपको थकान, सीने में दर्द, धड़कन तेज़ होना या सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बचाव ही है सबसे अच्छा इलाज
दिल को स्वस्थ रखने के लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाएं, खासकर अगर आप कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं:
- हेल्दी डाइट लें – फल, सब्जियां, कम फैट वाला भोजन
- रेगुलर एक्सरसाइज करें – योग, वॉक या हल्का व्यायाम
- तनाव कम करें – मेडिटेशन और पर्याप्त नींद लें
- धूम्रपान और शराब से दूरी बनाए रखें
- डॉक्टर की सलाह पर वैक्सीनेशन और बूस्टर डोज जरूर लें
निष्कर्ष
कोरोना वायरस के बाद हार्ट अटैक के मामलों में वाकई में वृद्धि देखी गई है। यह एक गंभीर विषय है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। शरीर में सूजन, ऑक्सीजन की कमी, ब्लड क्लॉटिंग और मानसिक तनाव जैसे कई कारण कोरोना से जुड़ी दिल की बीमारियों की जड़ में हैं।
अगर आप या आपके कोई जानने वाले कोरोना से उबर चुके हैं, तो जरूरी है कि वे अपने हृदय स्वास्थ्य की नियमित जांच करवाएं और सतर्क रहें। जीवनशैली में थोड़े बदलाव और समय पर सावधानी बरतकर हम इस बढ़ते खतरे को काफी हद तक टाल सकते हैं।
सतर्क रहें, स्वस्थ रहें – दिल की रक्षा करना आपकी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।