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हमारी शरीर की नियमित कार्यप्रणाली में कुछ अपशिष्ट तत्व भी बनते हैं, जिन्हें शरीर बाहर निकाल देता है। ऐसा ही एक अपशिष्ट उत्पाद है यूरिक एसिड (Uric Acid)। यह शरीर में मौजूद प्यूरिन नामक तत्व के टूटने से बनता है, जो कुछ विशेष खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। जब यह यूरिक एसिड शरीर से ठीक तरह से बाहर नहीं निकलता या जरूरत से ज्यादा बनता है, तो यह खून में जमा होने लगता है। समय के साथ यह एसिड जोड़ों में क्रिस्टल के रूप में जम सकता है जिससे गठिया (गाउट) जैसी समस्याएं होती हैं, और यह किडनी में जाकर पथरी (Kidney Stone) भी बना सकता है।

आजकल की जीवनशैली और खानपान के कारण यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। इस लेख में हम जानेंगे कि यूरिक एसिड क्या है, इसके कारण, लक्षण, जोड़ों और किडनी पर इसके दुष्प्रभाव और इससे बचाव के उपाय क्या हैं।

यूरिक एसिड क्या है और कैसे बनता है?

यूरिक एसिड शरीर में प्यूरिन के टूटने से बनता है। प्यूरिन एक प्राकृतिक तत्व है जो शरीर में कोशिकाओं के निर्माण और टूटने के दौरान बनता है, और कुछ खाद्य पदार्थों जैसे रेड मीट, सीफूड, बीयर, दालें और मशरूम में अधिक मात्रा में पाया जाता है। सामान्यतः यह एसिड रक्त के जरिए किडनी तक पहुंचता है और मूत्र के रास्ते बाहर निकल जाता है।

लेकिन जब:

  • शरीर में अधिक मात्रा में यूरिक एसिड बनता है, या
  • किडनी इसे ठीक से बाहर नहीं निकाल पाती,

तो यह रक्त में जमा हो जाता है और धीरे-धीरे जोड़ों में क्रिस्टल बना सकता है या किडनी में पथरी का कारण बन सकता है।

जोड़ों में यूरिक एसिड कैसे करता है नुकसान?

जब यूरिक एसिड का स्तर बढ़ता है, तो यह जोड़ों में जमा होकर सूजन और तेज़ दर्द का कारण बनता है, जिसे गाउट (Gout) कहा जाता है। यह आमतौर पर अंगूठे के जोड़ में शुरू होता है, लेकिन घुटनों, एड़ियों, हाथों और कलाई में भी हो सकता है।

लक्षण:

  • जोड़ों में तीव्र दर्द, विशेषकर रात के समय
  • जोड़ लाल, गर्म और सूजे हुए लगते हैं
  • चलने-फिरने में कठिनाई
  • बार-बार एक ही जगह पर दर्द होना

यदि गाउट का समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह जोड़ स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

किडनी में कैसे बनती है यूरिक एसिड की पथरी?

जब यूरिक एसिड मूत्र के जरिए पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाता, तो यह मूत्राशय में क्रिस्टल के रूप में जमने लगता है। धीरे-धीरे ये क्रिस्टल आपस में मिलकर पथरी (Stone) का रूप ले लेते हैं। यूरिक एसिड से बनने वाली पथरी हार्ड होती है और तेज़ दर्द, उल्टी, पेशाब में खून और जलन का कारण बनती है।

किडनी स्टोन के लक्षण:

  • पीठ या पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द
  • पेशाब में जलन या खून
  • बार-बार पेशाब आने की इच्छा
  • मतली या उल्टी
  • बुखार या ठंड लगना (यदि संक्रमण हो)

किन कारणों से बढ़ता है यूरिक एसिड?

  • अनुचित खानपान: ज्यादा मांस, मछली, दाल, बीयर, शराब और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन
  • कम पानी पीना: जिससे शरीर से यूरिक एसिड बाहर नहीं निकल पाता
  • मोटापा: अधिक वजन से किडनी पर दबाव बढ़ता है
  • कुछ दवाएं: जैसे डाइयूरेटिक्स (मूत्रवर्धक दवाएं)
  • अनुवांशिक कारण: परिवार में अगर किसी को यह समस्या है तो इसकी आशंका ज्यादा होती है
  • गुर्दों की खराबी: यदि किडनी ठीक से कार्य नहीं कर रही हो तो यूरिक एसिड शरीर में जमा हो जाता है

यूरिक एसिड कम करने और इससे बचाव के उपाय

यूरिक एसिड की मात्रा को नियंत्रित रखना बेहद आवश्यक है ताकि न केवल जोड़ों को बचाया जा सके, बल्कि किडनी को भी स्वस्थ रखा जा सके। इसके लिए आप निम्न उपाय अपना सकते हैं:

  1. पानी खूब पिएं:
    रोजाना कम से कम 2.5 से 3 लीटर पानी पीने से यूरिक एसिड आसानी से बाहर निकलता है।
  2. डाइट में सुधार करें:
  • प्यूरिन युक्त खाद्य पदार्थों (जैसे रेड मीट, दाल, मशरूम, सीफूड) से परहेज करें
  • ज्यादा फाइबर वाले फल और सब्ज़ियां खाएं
  • चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक्स कम करें
  • शराब और बियर पूरी तरह छोड़ें
  1. वजन नियंत्रित रखें:
    मोटापा यूरिक एसिड को बढ़ाता है, इसलिए व्यायाम करें और संतुलित आहार लें।
  2. नियमित चेकअप कराएं:
    यदि आप पहले से यूरिक एसिड या पथरी के मरीज हैं, तो समय-समय पर रक्त और मूत्र की जांच कराते रहें।
  3. डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का सेवन करें:
    कुछ दवाएं यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद करती हैं, जैसे Allopurinol या Febuxostat। इन्हें डॉक्टर की सलाह से ही लें।

निष्कर्ष

यूरिक एसिड एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन जब इसका स्तर बढ़ जाता है, तो यह शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है। यह न केवल जोड़ों में गठिया जैसी समस्या पैदा करता है, बल्कि किडनी में पथरी जैसी गंभीर स्थिति का कारण भी बन सकता है। इसलिए आवश्यक है कि आप अपनी जीवनशैली और खानपान पर ध्यान दें, नियमित जांच कराएं और किसी भी लक्षण के दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें।
स्वस्थ जीवन के लिए सजग रहना ही सबसे बड़ा इलाज है।

 

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