हाल के वर्षों में दुनिया ने कई तरह की वायरल बीमारियों का सामना किया है, जिनमें सीजनल फ्लू (मौसमी जुकाम) और कोरोना वायरस (COVID-19) सबसे प्रमुख हैं। अक्सर लोगों को यह भ्रम होता है कि इन दोनों बीमारियों में अंतर करना मुश्किल है क्योंकि इनके लक्षण काफी हद तक एक जैसे दिखते हैं।
हालांकि, चिकित्सा विज्ञान के अनुसार दोनों बीमारियों की उत्पत्ति, गंभीरता, फैलने का तरीका और इलाज के तरीके अलग-अलग होते हैं। इस ब्लॉग में हम सीजनल फ्लू और कोरोना वायरस के बीच के अंतर को आसान और स्पष्ट भाषा में समझेंगे, ताकि आप समय पर पहचान कर सही कदम उठा सकें।
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बीमारी का कारण: वायरस की पहचान
सीजनल फ्लू और कोरोना दोनों ही वायरल संक्रमण हैं, लेकिन इन्हें पैदा करने वाले वायरस अलग होते हैं।
- सीजनल फ्लू: यह इंफ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। यह वायरस हर साल मौसम बदलने के दौरान सक्रिय हो जाता है, खासकर सर्दियों में।
- कोरोना वायरस (COVID-19): यह SARS-CoV-2 नामक वायरस से होता है, जो एक नया वायरस है और पहली बार 2019 में चीन के वुहान शहर में सामने आया था।
सीजनल फ्लू तो हर साल आता है और हमारी इम्यूनिटी उसमें कुछ हद तक तैयार रहती है, लेकिन कोरोना एक नया वायरस था, जिससे लड़ने के लिए शरीर को विशेष इम्यून रिस्पॉन्स की जरूरत थी।
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लक्षणों में समानता और अंतर
दोनों बीमारियों में कई लक्षण एक जैसे होते हैं, जैसे बुखार, खांसी, थकान, बदन दर्द, लेकिन कुछ लक्षण इन्हें अलग करते हैं।
लक्षण | सीजनल फ्लू | कोरोना वायरस |
बुखार | आम | आम |
सूखी खांसी | आम | आम |
सर्दी-जुकाम | अक्सर | कभी-कभी |
गले में खराश | आम | आम |
सांस की तकलीफ | कम | ज्यादा (गंभीर मामलों में) |
स्वाद और गंध का जाना | नहीं | विशेष लक्षण |
थकान और कमजोरी | सामान्य | अत्यधिक |
स्वाद और गंध का चला जाना कोरोना का एक खास लक्षण है, जो आमतौर पर फ्लू में नहीं पाया जाता। इसके अलावा, कोरोना में सांस लेने में दिक्कत और फेफड़ों में संक्रमण गंभीर स्तर तक जा सकता है।
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फैलने का तरीका
दोनों बीमारियां हवा के जरिए फैलती हैं, लेकिन कोरोना वायरस के फैलाव की दर सीजनल फ्लू से कहीं अधिक है।
- सीजनल फ्लू आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है, लेकिन यह सामान्य सतर्कता बरतने से जल्दी काबू में आ जाता है।
- कोरोना वायरस बहुत तेजी से फैलता है और संक्रमित व्यक्ति से बातचीत करने, उसके छुए हुए सामान को छूने या भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से यह फैल सकता है। यही वजह है कि कोरोना के दौरान लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपायों को अपनाया गया।
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इलाज और वैक्सीनेशन
- सीजनल फ्लू के लिए हर साल एक नया टीका आता है, जो उस साल के संभावित वायरस स्ट्रेन्स के अनुसार होता है। इसके इलाज में सामान्य बुखार की दवाएं, आराम और तरल पदार्थों का सेवन पर्याप्त होता है।
- कोरोना वायरस के लिए भी अब कई वैक्सीन उपलब्ध हैं, जैसे Covishield, Covaxin, Pfizer, Moderna आदि। लेकिन शुरुआत में इसका कोई इलाज नहीं था, और गंभीर मरीजों को अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट और विशेष दवाएं दी जाती थीं।
गंभीर मामलों में, कोरोना के मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है, जबकि फ्लू में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है।
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सावधानी और बचाव
दोनों बीमारियों से बचाव के उपाय मिलते-जुलते हैं, लेकिन कोरोना के मामले में अतिरिक्त सतर्कता जरूरी है।
साझा बचाव उपाय:
- बार-बार हाथ धोना
- मास्क पहनना
- भीड़ से बचना
- खांसते/छींकते समय मुंह ढंकना
- शरीर की इम्यूनिटी मजबूत बनाना
कोरोना के विशेष उपाय:
- सोशल डिस्टेंसिंग
- नियमित रूप से सैनिटाइज़र का उपयोग
- कोविड वैक्सीन लगवाना
- कोविड टेस्ट करवाना और आइसोलेशन में रहना (संक्रमण की पुष्टि पर)
निष्कर्ष
सीजनल फ्लू और कोरोना वायरस दोनों ही वायरल बीमारियां हैं, लेकिन कोरोना वायरस की गंभीरता, फैलाव की दर और लक्षण इसे एक अलग श्रेणी में रखते हैं। सही जानकारी, समय पर पहचान और बचाव ही इन दोनों बीमारियों से लड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है।
यदि आप या आपके परिवार में किसी को सर्दी, बुखार या खांसी जैसे लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से संपर्क करें और जरूरत पड़ने पर टेस्ट करवाएं। कोरोना काल ने हमें सिखा दिया है कि लापरवाही भारी पड़ सकती है, इसलिए सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।
स्वस्थ जीवन के लिए जानकारी और सजगता बेहद जरूरी है!