Breaking News

हाइपोटेंशन या लो ब्लड प्रेशर एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य से काफी कम हो जाता है। आमतौर पर जब हम ब्लड प्रेशर की बात करते हैं, तो हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) को ज्यादा महत्व देते हैं, लेकिन हाइपोटेंशन भी उतना ही गंभीर हो सकता है, खासकर जब यह लक्षणों के साथ आता है। यह स्थिति मस्तिष्क, हृदय और अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक पर्याप्त रक्त प्रवाह को बाधित कर सकती है, जिससे चक्कर आना, थकान, बेहोशी और यहां तक कि शॉक की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। आइए जानें इस खामोश खतरे के बारे में विस्तार से।

  1. हाइपोटेंशन

    क्या है?

हाइपोटेंशन वह स्थिति है जब किसी व्यक्ति का रक्तचाप 90/60 mmHg से कम होता है। यह दो मापों पर आधारित होता है:

  • सिस्टोलिक प्रेशर (ऊपरी संख्या): यह हृदय के संकुचन के दौरान रक्त वाहिनियों में दबाव को दर्शाता है।
  • डायस्टोलिक प्रेशर (निचली संख्या): यह हृदय के विश्राम के समय का दबाव होता है।

यदि इनमें से कोई एक संख्या सामान्य से कम हो जाए, तो व्यक्ति को हाइपोटेंशन कहा जाता है।

  1. हाइपोटेंशन

    के लक्षण

सभी लोगों में हाइपोटेंशन के लक्षण समान नहीं होते। कई बार व्यक्ति को कोई लक्षण नहीं भी हो सकते। लेकिन जब लक्षण दिखाई देते हैं, तो वे जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं। आम लक्षणों में शामिल हैं:

  • चक्कर आना या सिर घूमना
  • बेहोशी या आंखों के आगे अंधेरा छा जाना
  • थकान और कमजोरी
  • धुंधली दृष्टि
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  • ठंडी और पीली त्वचा
  • तेज या अनियमित दिल की धड़कन

अगर इन लक्षणों की पुनरावृत्ति हो रही है, तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी हो जाता है।

  1. हाइपोटेंशन

    के कारण

हाइपोटेंशन के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ सामान्य और कुछ गंभीर भी हो सकते हैं:

  • निर्जलीकरण (Dehydration): शरीर में पानी की कमी से रक्त की मात्रा घट जाती है जिससे दबाव कम हो जाता है।
  • हृदय संबंधी समस्याएं: धीमी या तेज धड़कन, हार्ट फेल्योर, वॉल्व की खराबी आदि कारण बन सकते हैं।
  • एंडोक्राइन डिसऑर्डर: जैसे एडिसन डिजीज, थायरॉइड की समस्याएं या ब्लड शुगर में गिरावट।
  • गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं में ब्लड प्रेशर सामान्य से कम हो सकता है।
  • ब्लड लॉस: अधिक रक्तस्राव के कारण ब्लड प्रेशर गिर सकता है।
  • संक्रमण और एलर्जी: शरीर में इंफेक्शन फैलने पर सेप्टिक शॉक या एनाफिलेक्सिस हो सकता है।
  • दवाइयां: ब्लड प्रेशर कम करने वाली दवाएं, डाइयूरेटिक्स, एंटीडिप्रेसेंट और दर्द निवारक गोलियां भी हाइपोटेंशन का कारण बन सकती हैं।
  1. हाइपोटेंशन

    के प्रकार

हाइपोटेंशन के विभिन्न प्रकार हो सकते हैं, जिनकी पहचान उनके लक्षणों और कारणों से होती है:

  • ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन: जब कोई व्यक्ति अचानक खड़ा होता है तो ब्लड प्रेशर गिर जाता है।
  • पोस्टप्रैंडियल हाइपोटेंशन: खाना खाने के बाद ब्लड प्रेशर में गिरावट आना।
  • न्यूरोलॉजिकल हाइपोटेंशन: लंबी अवधि तक खड़े रहने पर होता है, विशेष रूप से युवा लोगों में।
  • शॉक से जुड़ा हाइपोटेंशन: यह सबसे खतरनाक होता है, जिसमें महत्वपूर्ण अंगों तक खून नहीं पहुंचता।
  1. हाइपोटेंशन

    की रोकथाम और इलाज

यदि हाइपोटेंशन के लक्षण हल्के हों तो जीवनशैली में थोड़े बदलाव से ही स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है:

  • पर्याप्त पानी पिएं: डिहाइड्रेशन से बचें।
  • संतुलित आहार लें: नमक और पोषण से भरपूर भोजन करें।
  • धीरे-धीरे स्थिति बदलें: अचानक बैठने या खड़े होने से बचें।
  • कॉम्प्रेशन स्टॉकिंग्स: रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
  • कैफीन और फ्लूइड्स: कभी-कभी डॉक्टर सलाह अनुसार कैफीन का सेवन लाभदायक हो सकता है।

यदि कोई अंतर्निहित कारण हो (जैसे हार्ट डिजीज, हॉर्मोनल डिसऑर्डर), तो उस समस्या का इलाज जरूरी होता है। दवाओं से भी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन ये डॉक्टर की सलाह पर ही लेनी चाहिए।

याद रखें, शरीर के संकेतों को समझना और समय पर कदम उठाना ही अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है।

यदि आप या आपके किसी परिजन को हाइपोटेंशन से जुड़ी समस्या है, तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें और नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *