हृदय यानी दिल, हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो जीवन के हर क्षण में सक्रिय रहता है। लेकिन दुख की बात है कि आज भारत में हृदय संबंधी रोग (Cardiovascular Diseases) तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले जहां ये बीमारियाँ वृद्धावस्था में होती थीं, आज युवाओं में भी दिल का दौरा और हार्ट फेलियर के मामले सामने आ रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में होने वाली कुल मौतों में से लगभग 28% हृदय रोगों के कारण होती हैं। यह आंकड़ा न केवल चिंताजनक है, बल्कि हमारे जीवनशैली और स्वास्थ्य संबंधी आदतों पर पुनर्विचार की मांग करता है। इस लेख में हम जानेंगे कि भारत में हृदय रोग क्यों बढ़ रहे हैं, इसके क्या कारण हैं, क्या लक्षण हो सकते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।
भारत में हृदय रोगों की स्थिति
पिछले कुछ वर्षों में भारत में हृदय रोगों की घटनाओं में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में यह समस्या देखी जा रही है। पहले यह एक “लाइफस्टाइल डिज़ीज़” मानी जाती थी जो केवल बड़े शहरों के अमीर वर्ग में पाई जाती थी, लेकिन अब यह समस्या समाज के हर वर्ग तक पहुँच चुकी है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो:
- हर साल भारत में लगभग 25 लाख लोग हृदय रोग के कारण जान गंवाते हैं।
- 30 से 50 वर्ष की आयु के लोगों में हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि हुई है।
- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापा जैसे कारक हृदय रोगों के मुख्य कारण बन चुके हैं।
हृदय रोग बढ़ने के मुख्य कारण
भारत में हृदय संबंधी बीमारियाँ बढ़ने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें से अधिकांश हमारी जीवनशैली और खानपान से जुड़े हैं।
- अनुचित खानपान:
- अधिक तेल, नमक और चीनी से भरपूर खाना।
- फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड और पैकेज्ड स्नैक्स का अत्यधिक सेवन।
- शारीरिक निष्क्रियता:
- लंबे समय तक बैठना, व्यायाम की कमी।
- मोबाइल और कंप्यूटर पर घंटों समय बिताना।
- तनाव और नींद की कमी:
- ऑफिस और निजी जीवन का दबाव।
- मानसिक तनाव और अनियमित नींद।
- धूम्रपान और शराब का सेवन:
- तंबाकू और शराब दिल की धमनियों को नुकसान पहुंचाते हैं।
- चिकित्सीय लापरवाही:
- ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज की नियमित जांच न कराना।
- शुरुआती लक्षणों की अनदेखी।
हृदय रोगों के सामान्य लक्षण
कई बार हृदय रोगों के लक्षण स्पष्ट नहीं होते, लेकिन कुछ संकेत ऐसे होते हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए:
- सीने में दर्द या जकड़न
- सांस लेने में तकलीफ
- थकान और चक्कर आना
- हाथ, पीठ, गर्दन या जबड़े में दर्द
- तेज़ या अनियमित हृदयगति
- पसीना आना, विशेषकर बिना मेहनत के
इन लक्षणों में से कोई भी दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बचाव और सावधानियां
हृदय रोगों से बचना पूरी तरह संभव है, बस जरूरत है थोड़े से अनुशासन और सही आदतों की:
- संतुलित आहार अपनाएं:
- फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, सूखे मेवे और कम वसा वाले प्रोटीन लें।
- तले-भुने और मीठे खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएं।
- नियमित व्यायाम करें:
- रोजाना 30-45 मिनट की तेज़ चाल से चलना, योग या साइकिल चलाना।
- तनाव नियंत्रित करें:
- मेडिटेशन, प्राणायाम और पर्याप्त नींद से मानसिक शांति बनाए रखें।
- स्वास्थ्य जांच करवाएं:
- समय-समय पर ब्लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्रॉल और ECG जांच कराते रहें।
- धूम्रपान और शराब से दूर रहें:
- ये हृदय की रक्त नलिकाओं को संकुचित करते हैं और जोखिम बढ़ाते हैं।
सरकार और समाज की भूमिका
हृदय रोगों की रोकथाम केवल व्यक्ति की नहीं, बल्कि समाज और सरकार की भी जिम्मेदारी है। इसके लिए जरूरी है:
- स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाना।
- स्कूलों और ऑफिसों में हेल्थ चेकअप कैम्प लगाना।
- पैदल चलने और साइकलिंग को बढ़ावा देना।
- खाद्य पदार्थों में नमक और ट्रांस फैट की मात्रा सीमित करने के लिए कानून बनाना।
निष्कर्ष
भारत में हृदय रोग एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, लेकिन यह एक ऐसी बीमारी है जिससे समय रहते चेतकर काफी हद तक बचा जा सकता है। सही खानपान, नियमित व्यायाम, तनाव मुक्त जीवन और समय पर जांच – यही इसके खिलाफ हमारी सबसे बड़ी ढाल हैं।
दिल से जीना है तो दिल का ध्यान रखें, क्योंकि एक स्वस्थ दिल ही स्वस्थ जीवन की नींव है।
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