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आज के डिजिटल युग में कंप्यूटर, मोबाइल और टैबलेट जैसे उपकरण हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गए हैं। चाहे पढ़ाई हो, ऑफिस का काम, मनोरंजन या सोशल मीडिया – हर कार्य के लिए इनका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। हालांकि ये तकनीकी उपकरण जीवन को सरल बनाते हैं, लेकिन लगातार स्क्रीन पर देखने से हमारी आंखों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

अधिक देर तक स्क्रीन देखने से आंखों में जलन, सूखापन, थकान और सिरदर्द जैसे लक्षण आम हो गए हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि स्क्रीन का आंखों पर क्या प्रभाव होता है, इसके पीछे क्या कारण हैं, और इससे बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।

स्क्रीन के अधिक प्रयोग से आंखों पर पड़ने वाले प्रभाव

जब हम लंबे समय तक मोबाइल या कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखते हैं, तो हमारी आंखें लगातार फोकस करने की स्थिति में रहती हैं। इससे आंखों की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है और आंखें थकने लगती हैं।

प्रमुख समस्याएं जो नजर आती हैं:

  • डिजिटल आई स्ट्रेन (Digital Eye Strain)
    आंखों में थकान, जलन, धुंधलापन और भारीपन महसूस होना।
  • ड्राई आई सिंड्रोम (Dry Eyes)
    लगातार स्क्रीन देखने से पलकें कम झपकती हैं, जिससे आंखें सूखने लगती हैं।
  • दृष्टि में धुंधलापन
    पास या दूर की वस्तुएं स्पष्ट न दिखना।
  • सिरदर्द और गर्दन/पीठ दर्द
    गलत पोस्चर और आंखों की थकान से सिरदर्द या शरीर में तनाव उत्पन्न होता है।

स्क्रीन का आंखों पर प्रभाव क्यों होता है?

जब हम स्क्रीन पर देर तक काम करते हैं, तो कई जैविक और पर्यावरणीय कारण मिलकर आंखों को प्रभावित करते हैं:

  • ब्लू लाइट (Blue Light):
    मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती है।
  • कम झपकना (Reduced Blinking):
    आमतौर पर हम एक मिनट में 15-20 बार पलकें झपकते हैं, लेकिन स्क्रीन पर काम करते समय यह घटकर 5-7 बार रह जाती है।
  • गलत रोशनी या बैकग्राउंड लाइट:
    ज्यादा तेज या कम प्रकाश में स्क्रीन देखना आंखों पर अतिरिक्त तनाव डालता है।
  • गलत मुद्रा (Posture):
    आंखों से बहुत नजदीक या बहुत दूर स्क्रीन रखना।

आंखों की थकान के लक्षण

यदि आप रोजाना 4-6 घंटे या उससे अधिक समय तक स्क्रीन पर काम करते हैं, तो निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं:

  • आंखों में जलन या चुभन
  • लगातार पानी आना या सूखापन
  • आँखों का लाल होना
  • धुंधली या दोहरी दृष्टि
  • स्क्रीन से ध्यान हटते ही सिरदर्द
  • सोने में परेशानी या नींद का खराब होना

इन लक्षणों की अनदेखी करने पर समस्या गंभीर हो सकती है और डॉक्टर की सलाह जरूरी हो जाती है।

आंखों को सुरक्षित रखने के उपाय

अब सवाल उठता है कि क्या हम डिजिटल उपकरणों का प्रयोग बंद कर सकते हैं? जवाब है – नहीं। लेकिन कुछ सावधानियों और आदतों को अपनाकर हम अपनी आंखों की रक्षा जरूर कर सकते हैं।

  1. 20-20-20 नियम अपनाएं
    हर 20 मिनट बाद, 20 फीट दूर की किसी वस्तु को 20 सेकेंड तक देखें। इससे आंखों को आराम मिलता है।
  2. स्क्रीन की दूरी और ऊंचाई सही रखें
    कंप्यूटर स्क्रीन को आंखों के स्तर से थोड़ा नीचे और लगभग 20-25 इंच की दूरी पर रखें।
  3. ब्लू लाइट फिल्टर का प्रयोग करें
    मोबाइल या लैपटॉप में नाइट मोड या ब्लू लाइट फिल्टर ऑन करें।
  4. उचित रोशनी में काम करें
    ना तो बहुत तेज रोशनी में स्क्रीन देखें, ना ही पूरी तरह अंधेरे में।
  5. पलकें झपकाने की आदत डालें
    बार-बार पलकें झपकाना आंखों को नमी देने का स्वाभाविक तरीका है।
  6. आई एक्सरसाइज करें
    आंखों की हल्की एक्सरसाइज और पामिंग (हथेलियों से आंखों को ढकना) करने से थकान कम होती है।
  7. कब डॉक्टर से संपर्क करें?

अगर आंखों की समस्या लगातार बनी रहे या नीचे दिए गए लक्षण दिखें, तो तुरंत नेत्र चिकित्सक से संपर्क करें:

  • धुंधलापन लगातार बना रहना
  • दृष्टि में कमी आना
  • रोशनी में देखने में तकलीफ
  • आंखों का सूजन या लगातार दर्द
  • सिरदर्द के साथ आंखों में तनाव

नेत्र जांच नियमित रूप से कराना और डॉक्टर की सलाह के अनुसार चश्मा या आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करना जरूरी है।

निष्कर्ष

आज की डिजिटल दुनिया में स्क्रीन से पूरी तरह बचा जाना संभव नहीं है, लेकिन कुछ आसान आदतें और जागरूकता हमारी आंखों को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रख सकती हैं। डिजिटल डिवाइस का उपयोग करते समय संतुलन बनाना, उचित ब्रेक लेना और आंखों की देखभाल करना बेहद जरूरी है।

याद रखिए – आपकी आंखें अनमोल हैं, इनकी सुरक्षा आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए।

अगर यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे दूसरों के साथ जरूर साझा करें और अपनी आंखों की नियमित जांच करवाना भूलें।

 

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