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बांझपन (Infertility) एक संवेदनशील लेकिन तेजी से बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या है, जो आधुनिक जीवनशैली, खान-पान की आदतों, और पर्यावरणीय कारणों से और भी जटिल बनती जा रही है। यह स्थिति तब मानी जाती है जब कोई दंपती नियमित यौन संबंधों के बावजूद एक वर्ष तक गर्भधारण करने में असफल रहता है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि बांझपन केवल महिलाओं की समस्या नहीं है, बल्कि पुरुषों में भी यह उतना ही आम है। इसलिए, इसे एक साझा समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए और दोनों पक्षों की शारीरिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए समाधान खोजा जाना चाहिए।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि महिलाओं और पुरुषों में बांझपन के प्रमुख कारण क्या होते हैं और उन्हें कैसे समझा जा सकता है।

महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारण

(क) ओवुलेशन की अनियमितता

यदि महिला के शरीर में अंडाणु (eggs) का उत्पादन नियमित रूप से नहीं हो रहा है, तो गर्भधारण मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), थायरॉइड की समस्या या अत्यधिक तनाव की वजह से हो सकती है।

(ख) फैलोपियन ट्यूब में रुकावट

फैलोपियन ट्यूब अंडाणु और शुक्राणु के मिलन का माध्यम होती है। यदि इनमें सूजन, संक्रमण या रुकावट होती है तो निषेचन (fertilization) नहीं हो पाता और गर्भधारण असंभव हो जाता है।

(ग) एंडोमेट्रियोसिस

इस स्थिति में गर्भाशय की अंदरुनी परत गर्भाशय के बाहर विकसित होने लगती है, जिससे अंडाणु और शुक्राणु के मिलन में रुकावट आती है।

(घ) हार्मोनल असंतुलन

हार्मोन शरीर के प्रजनन तंत्र को नियंत्रित करते हैं। एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन, FSH और LH जैसे हार्मोन के असंतुलन से महिला की प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।

(ङ) उम्र का प्रभाव

35 वर्ष की उम्र के बाद महिलाओं में अंडाणुओं की संख्या और गुणवत्ता दोनों घटने लगती हैं, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है।

पुरुषों में बांझपन के प्रमुख कारण

(क) शुक्राणुओं की कमी या गुणवत्ता में गिरावट

यह सबसे सामान्य कारण है। यदि पुरुष के सीमेन में शुक्राणु की संख्या कम है, वे धीमे हैं या विकृत हैं, तो अंडाणु तक पहुंचना और उसे निषेचित करना कठिन हो जाता है।

(ख) वीर्य के प्रवाह में रुकावट

यदि वीर्य शुक्राणु को अंडाणु तक नहीं पहुंचा पा रहा है, तो यह बाधा बनती है। यह स्थिति पिछले संक्रमण, चोट या जन्मजात विकृति के कारण हो सकती है।

(ग) हार्मोनल असंतुलन

FSH, LH और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन की कमी या अधिकता से शुक्राणु निर्माण प्रक्रिया प्रभावित होती है।

(घ) धूम्रपान, शराब और नशीले पदार्थों का सेवन

ये आदतें शुक्राणु की गुणवत्ता को सीधा प्रभावित करती हैं। इसके अलावा, अत्यधिक कैफीन और मोटापा भी बांझपन को बढ़ावा देते हैं।

(ङ) तनाव और मानसिक दबाव

लगातार तनाव रहने से न केवल यौन इच्छा कम होती है, बल्कि हार्मोनल संतुलन भी बिगड़ता है, जो प्रजनन क्षमता को घटाता है।

जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं: दोनों के लिए खतरा

(क) मोटापा और पोषण की कमी

अत्यधिक वजन या कुपोषण दोनों ही महिला और पुरुष की प्रजनन क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। मोटापा हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है और अंडाणु तथा शुक्राणु दोनों के उत्पादन में बाधा पहुंचाता है।

(ख) अत्यधिक एक्सरसाइज या अत्यधिक आराम

शरीर को संतुलित शारीरिक गतिविधि की आवश्यकता होती है। बहुत अधिक व्यायाम या पूरी तरह निष्क्रिय रहना दोनों ही शरीर के प्राकृतिक प्रजनन चक्र को बिगाड़ सकते हैं।

(ग) नींद की कमी

नींद की कमी से शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर बढ़ता है जिससे प्रजनन हार्मोन असंतुलित हो सकते हैं।

संक्रमण और यौन रोग

STD (Sexually Transmitted Diseases) जैसे क्लैमिडिया, गोनोरिया आदि प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। समय पर इलाज न होने पर यह स्थायी बांझपन का कारण बन सकते हैं।

मेडिकल स्थितियां और दवाइयों का प्रभाव

कुछ बीमारियाँ जैसे डायबिटीज, थायरॉइड, कैंसर आदि के इलाज में प्रयुक्त दवाएं या कीमोथेरेपी भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। साथ ही, कुछ दवाएं हार्मोन उत्पादन को रोक सकती हैं जिससे गर्भधारण में बाधा आती है।

निष्कर्ष

बांझपन को केवल महिला या पुरुष की समस्या मानना गलत है। यह दोनों की साझा ज़िम्मेदारी है और दोनों में कारण हो सकते हैं। सही समय पर जांच, डॉक्टरी परामर्श और जीवनशैली में सुधार से इस समस्या का समाधान संभव है।

समाज में इस विषय को लेकर जागरूकता फैलाना ज़रूरी है ताकि दंपति इस चुनौती का सामना बिना शर्म या अपराधबोध के कर सकें। याद रखें – सकारात्मक सोच, सही इलाज और समय पर प्रयास बांझपन की समस्या को मात दे सकते हैं।

यदि आप या आपके जानने वाले इस स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो किसी योग्य स्त्री रोग विशेषज्ञ या एंड्रोलॉजिस्ट से अवश्य सलाह लें।

 

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